आगरा में कलियुगी बेटों को सबक सिखाने वाला एक मामला सामने आया है। एक बुजुर्ग पिता ने अपने बेटों की करतूतों से परेशान होकर अपनी पूरी संपत्ति आगरा जिला अधिकारी के नाम कर दी है। पिता का कहना है कि उनके घर में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है फिर भी बेटा आये दिन उन्हें परेशान करता है और उनकी संपत्ति से हिस्सा मांगता है। यहां तक कि उन्हें घर से निकाल दिया। उन्होंने अपने बेटे को कई बार समझाने की कोशिश की लेकिन वह समझता नहीं। इसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया है। आगरा जिलाधिकारी के नाम की गयी ये संपत्ति लगभग दो करोड़ की है।
आगरा जिलाधिकारी के नाम अपनी संपत्ति करने वाले इन बुजुर्ग का नाम गणेश शंकर पांडे है जो पीपल मंडी निराला बाद के निवासी हैं। वे जनता दरबार में पहुंचे थे, जहां उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट प्रतिपाल चौहान से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि, ये आगरा जिलाधिकारी के नाम की वसीयत है जिसमें उन्होंने अपनी संपत्ति जिलाधिकारी के नाम कर दी है। यह सुनते ही कार्यालय में मौजूद सभी अधिकारी और कर्मचारी भी दंग रह गए लेकिन, जब बुजुर्ग गणेश शंकर पांडे ने अपनी आपबीती सुनाई तो सभी हैरान रह गए।

गणेश शंकर पांडे ने बताया कि वे चार भाई नरेश शंकर पांडे, रघुनाथ शंकर पांडे और अजय शंकर पांडे हैं, सभी ने मिलकर एक हजार गज जमीन खरीदी थी। सभी भाइयों ने इसका मौखिक बंटवारा भी कर लिया था। घर में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। सभी सम्पन्न हैं लेकिन फिर भी उनका बड़ा बेटा दिग्विजय उन्हें परेशान कर संपत्ति से अपना हिस्सा मांगता है। छोटा बेटा भी कुछ नहीं कहता। उन्होंने उसे घर से बाहर भी निकाल दिया। उन्होंने अपने भाई के यहां शरण ली हुई है।
उन्होंने और उनके भाइयों ने दोनों बेटे को काफ़ी समझाने की कोशिश की लेकिन वह समझने को तैयार नहीं है। बड़ा बेटा दिग्विजय शंकर पांडे लगातार उन्हें संपत्ति के लिए बहुत परेशान कर रहा है जिससे आजिज आकर उन्होंने यह संपत्ति जिलाधिकारी के नाम कर दी है। इस संपत्ति की कीमत आज के सर्किल रेट के हिसाब से दो करोड़ आंकी जा रही है।
आगरा के सिटी मजिस्ट्रेट प्रतिपाल चौहान ने बताया कि गुरुवार को एक बुजुर्ग आये थे। उन्होंने अपने बेटे द्वारा की जा रही उपेक्षा से खिन्न होकर यह संपत्ति जिलाधिकारी के नाम की है। जिसके लिए वह कल एक रजिस्टर्ड वसीयत नामा लेकर आए थे, उनसे संपत्ति के सभी कागजात ले लिए गए हैं।