दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठन लगातार 20वें दिन भी विरोध दर्ज कर रहे हैं। इस दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और किसान यूनियनों दोनों ने फिर से बातचीत के संकेत दिए हैं। अब यह माना जा रहा है कि मंगलवार को एक बार फिर से किसान यूनियन और केंद्र सरकार के बीच बातचीत का दौर शुरू हो सकता है। हालांकि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 10 किसान संगठनों के नेताओं से सोमवार को मुलाकात की। बता दें इस मुलाकात में तमिलनाडु, तेलंगना ,बिहार और महाराष्ट्र के किसान संगठनों के नेता मौजूद रहे। 10 किसान संगठनों के नेताओं ने केंद्र सरकार के कृषि बिल का समर्थन किया। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उनका आभार व्यक्त किया। इस दौरान मौजूद किसानों ने कहा कि मोदी सरकार ने यह काम किसानों के समर्थन में किया है और हम इसका स्वागत करते हैं।
वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि पिछले सप्ताह पांच राउंड की बातचीत के बाद सरकार एक बार फिर से बातचीत शुरू करने के प्रयासों में लगी हुई है। जैसे ही कोई एक तारीख तक होती है आपको इस बारे में इत्तला कर दिया जाएगा।
इसके बाद दिल्ली के बाहरी इलाके में डेरा डाले हुए प्रदर्शनकारी किसानों के एक संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने कहा कि वे एक बार फिर से बातचीत करने के लिए तैयार हैं, हालांकि इस दौरान उनकी कुछ शर्ते रहेंगी।
पंजाब के अधिकतर किसान कृषि बिलों को निरस्त करने की मांग के साथ सरकार पर दबाव बना रहे हैं। वहीं वार्ता शुरू करने से पहले तीन शर्ते रखी गईं हैं-
1: वार्ता पुराने प्रस्तावों के बारे में नहीं हो सकती है, जिसे कृषि संघों ने अस्वीकार कर दिया था।
2: सरकार को एक नया एजेंडा तैयार करना चाहिए।
3: वार्ता कृषि कानूनों को रद्द करने के विषय पर केंद्रित होनी चाहिए।
फिलहाल सरकार अपनी बात पर अटल है और अभी भी यही बताया जा रहा है कि कृषि कानूनों से किसानों को फायदा होगा, वहैं7 किसान तीनों कृषि बिलों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं। यहां तक कि सोमवार को देशभर में किसानों ने भूख हड़ताल भी की, राजमार्गों को अवरुद्ध किया और विरोध में सड़कों पर प्रदर्शन किया।