Agra. आज दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज रामबाबू पराठे वाले की पत्नी सुमित्रा की स्थिति क्या है, परिवार ने उनके साथ क्या किया? उनके इस दर्द व वर्तमान स्थिति को मून मून ब्रेकिंग ने प्रमुखता के साथ सबसे पहले उठाया था। फेमस रेस्टोरेंट्स के मालिक स्व. राम बाबू पराठे वाले के परिवार की वर्तमान परिस्थिति की खबर चलने के बाद शहर में यह चर्चा का विषय बना तो उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने भी इस मामले में संज्ञान लिया। राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित पीड़ित से मिलने एसएन पहुँची। पूरी जानकारी जुटाने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की ओर से जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया गया और पीड़ित की समस्या का निस्तारण कराने व विस्तृत जांच आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
जिसके घर और रेस्टोरेंट पर लोग काम किया करते थे आज उसी की धर्मपत्नी सुमित्रा अपना परिवार चलाने को लोगों के घरों में काम करती है। सुमित्रा आगरा के प्रसिद्ध रामबाबू पराठे वाले की पत्नी हैं। आर्थिंक तंगी के कारण दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज है। छत से गिरकर घायल बेटे का उपचार एसएन मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। कुछ सामाजिक लोग उनकी मदद कर रहे है जबकि उन्हें तो पता ही नहीं था कि वो उसी प्रसिद्ध रामबाबू पराठे वाले की धर्मपत्नी है जिसके पराठे खाने के लिए देश विदेश से लोग उनके रेस्टोरेंट पर पहुँचते थे। आज उनकी पत्नी ही दाने दाने के लिए मोहताज है। सूत्रों की माने तो महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित ने बताया कि यह मामला बहुत संवेदनशील है।इसकी पूरी जांच कराई जाएगी।
आगरा डीएम को लखनऊ से आया नोटिस
सूत्रों की माने तो आयोग की सदस्या निर्मला दीक्षित ने इस पूरे मामले से आयोग की अध्यक्ष को अवगत कराया और फिर आयोग ने जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह को लखनऊ से नोटिस भेजा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत जांच आख्या उपलब्ध कराने, पीड़ित की मदद और कृत कार्यवाही से तत्काल आयोग को अवगत कराने के आदेश दिए हैं।
रिश्तेदारों ने आरोपों को बताया निराधार
सुमित्रा ने रिश्तेदारों पर दुकान हड़पने के आरोप लगाए थे। इस संबंध में पारिवारिक सदस्य चंद्रमोहन खंडेलवाल एवं बबलू खंडेलवाल ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि ‘रामबाबू जी का देहांत 1983 में हुआ था। 1986 में पारिवारिक सदस्यों के बीच आपसी बंटवारे का समझौता हो चुका है। उसके बाद सुमित्रा अपने बच्चों के साथ अलग रहती हैं। किसी प्रकार का लेना-देना बाकी नहीं रहा है। मानवीय आधार पर 29 मार्च को 15 हजार रुपये दिए थे। समय-समय पर बीमारी, शादी व अन्य में सहयोग किया है। आरोप निराधार और छवि को धूमिल करने वाले हैं। इसमें किसी का षड्यंत्र हो सकता है।’