आगरा के प्राचीन इतिहास पर लेखिका भावना वरदान शर्मा की बेस्ट सेलर किताब ‘आगरा मुगल नहीं ब्रजभूमि है’ पर ब्रज महोत्सव समिति द्वारा परिचर्चा आयोजित की गई। ब्रज महोत्सव समिति कार्यालय बेलनगंज आगरा पर आयोजित इस परिचर्चा के मुख्य वक्ता महेश चंद्र शर्मा रहे। मुख्य समीक्षक वरिष्ठ इतिहासकार डॉ राज किशोर शर्मा राजे और संस्थापक इंजीनियर राजकुमार शर्मा द्वारा सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। संचालन सुरेश शर्मा ने किया।
लेखिका भावना वरदान शर्मा ने कहा कि आगरा के प्राचीन इतिहास को सामने लाने के लिए उन्होंने पुस्तक लिखी है। देशभर में आगरा के इतिहास को लेकर देशवासियों के मन में उत्सुकता है। देश भर से ताज महल के सत्य को जानने के लिए याचिकाएं दी जा रही हैं। जबकि ताजमहल एक हिंदू भवन है, इसका उल्लेख बाबरनामा शाहजहांनामा और अब्दुल हमीद लाहौरी द्वारा लिखित बादशाहनामा में मिलता है। प्राचीन काल से ही आगरा एक समृद्धशाली शहर रहा है जो ब्रजमंडल का अभिन्न अंग है, यहीं वैदिक संस्कृति का उदय हुआ।
मुख्य वक्ता महेश चंद्र शर्मा ने कहा भावना वरदान शर्मा की पुस्तक आगरा के प्राचीन इतिहास को लेकर एक मील का पत्थर साबित होगी। हाल ही के वर्षों में आगरा के इतिहास पर लिखी गई यह सर्वश्रेष्ठ पुस्तक है जिसे हर वर्ग के लेखक पसंद करेंगे। पुस्तक में प्रथम शताब्दी से लेकर 15वीं शताब्दी तक मुगलों से पूर्व विभिन्न कालखंडों में आगरा के इतिहास पर प्रकाश डाला गया है। ताज महल, लाल किला और फतेहपुर सीकरी तथा आगरा के अन्य मुगल इमारतें के विषय में चौंकाने वाले सत्य बताए गए हैं।
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर राजे ने कहा लेखिका ने अपनी बात बेबाक रूप से प्रस्तुत की है। यह पुस्तक आगरा ही नहीं बल्कि पूरे ब्रज क्षेत्र के इतिहास को सामने लाकर खड़ा करती है और बताती है कि यह क्षेत्र किस तरह बार-बार उजड़ा एवं किस तरह उसने पुनः स्वयं को उबारा। आगरा मुगल नहीं ब्रज भूमि है की लेखिका भावना वरदान ने पुस्तक लिखने में भारी श्रम किया है। आगरा के वास्तविक इतिहास को जानने के लिए हर देशवासी को यह पुस्तक पढ़नी चाहिए।
परिचर्चा में ब्रज महोत्सव समिति के संस्थापक इंजीनियर राजकुमार शर्मा, डॉ राम प्रकाश चतुर्वेदी, बृजेश अग्रवाल, अजय कौशल, राकेश शर्मा, नरेंद्र शर्मा, किरन एवं अन्य सदस्य उपस्थित रहे।