आगरा। सुरक्षित लोकसभा सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही जीत का दम भरने वाली प्रीता हरित शुरु से ही संगठन की राजनीति और खींचतान का शिकार रही। आलम यह था कि जिस दिन वो आगरा आई उस दिन संगठन के दो अध्यक्ष और कार्यवाहक अध्यक्ष के समर्थक उन्हें कैप्चर करने में लगे रहे। प्रत्याशी प्रीता हरित ने जैसे तैसे दोनों को संभला। उनको लेकर चुनाव प्रचार किया लेकिन मतदान के दिन भी कार्यकर्ता उनसे दूर ही नजर आया। आलम यह था कि मतदान के दिन वोटरों को निकालने से लेकर उन्हें मतदान स्थल पर पर्चियां देने के लिए जो बस्ते लगते थे वो भी अधिकतर बूथों पर नजर नही आये।
मतदान से एक दिन पहले जो बस्तों का वितरण होता है वो प्रत्याशी की ओर से किया गया लेकिन बस्ते लेने वाले कांग्रेस के वो कार्यकर्ता कहाँ चले गए यह अब शहर संगठन के लिए जांच का विषय बन गया है। इस बार लोकसभा का क्षेत्र भी बहुत बड़ा था। प्रत्याशी के बस्ते का आलम यह तो शहर का था लेकिन इससे बुरा हाल तो जलेसर और एत्मादपुर का था। कांग्रेस से सांसद रहे निहाल सिंह जैन और विधायक कृष्ण वीर सिंह कौशल तो अपने बूथ पर कांग्रेस का बस्ता ही ढूंढते रहे वो तो दोनों ने मतदान को लेकर पर्चियां निकल वाली थी नही तो मतदान के लिए वो भी इधर उधर घूमते रहते। जिस वर्ग को अपना परंपरागत गत वोट कहती है उन दलित व मुस्लिम क्षेत्र रकाबगंज कांजीपाड़े में यही स्थिति देखने को मिली।
शहर अध्यक्ष अबरार हुसैन का कहना था कि पार्टी प्रत्याशी ने बस्ते लगवाने की जिम्मेदारी उन्हें नही दी थी। प्रत्याशी ने बस्तों का वितरण कुछ चुनिंदा लोगो के हाथ मे दे रखा था। उन्होंने ही बस्तों का वितरण किया। शहर अध्यक्ष अबरार हुसैन खुद मानते है कि बस्ते न लगने की उनके पास भी काफी शिकायत आई थी इसलिए वो खुद अपने क्षेत्र में बस्ते पर बैठे थे। बस्ते लेकर बूथ पर न लगाने वालों की तलाश की जा रही है आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
कार्यवाहक शहर अध्यक्ष का कहना है बस्तों के वितरण में पैसों के चक्कर मे बंदरबाट हुआ है। बस्ते किस कार्यकर्ता को देने है प्रत्याशी ने पूछा ही नही। जिसका खामियाजा मतदान के दिन उठाना पड़ा। काफी लोग बिना वोट डाले ही चले गए। इसका नुकसान प्रत्याशी को उठाना पड़ेगा।