Home » CAA परिचर्चा : ओसामा के अनुयायियों को नहीं देंगे नागरिकता – RSS

CAA परिचर्चा : ओसामा के अनुयायियों को नहीं देंगे नागरिकता – RSS

by admin

आगरा। नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। जहाँ विपक्षी पार्टियां अपने-अपने तरीके से विरोध जता रही हैं तो कई जिलों और प्रान्तों में हिंसा की खबरें भी सामने आई। ऐसे मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नागरिकता संशोधन बिल के पूर्ण समर्थन में आ गया है। नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में आरएसएस के सर कार्यवाह कृष्ण गोपाल ने सूरसदन के अंदर अपने उद्बोधन के जरिए सकारात्मक पक्ष रखा। इस दौरान पूरा सुरसदन हॉल खचाखच भरा हुआ था। आरएसएस के उद्बोधन कार्यक्रम में आए लोगों की संख्या को देखते हुए सूरसदन हॉल के बाहर उद्बोधन देखने के लिए एक स्क्रीन भी लगाई गई थी। मंच पर केवल तीन ही व्यक्तियों को बैठने की अनुमति थी। जिसमें आरएसएस के सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, वरिष्ठ समाजसेवी और वरिष्ठ अधिवक्ता करतार सिंह भारतीय और अशोक खन्ना मौजूद थे।

नागरिकता संशोधन बिल को लेकर अपना पक्ष रखते हुए आरएसएस के सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने सबसे पहले कांग्रेस को आड़े हाथों ले लिया। आरएसएस के सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने मंच से साफ तौर पर कहा किस देश के टुकड़े-टुकड़े कराने में कांग्रेस के नेताओं और मंत्रियों का हाथ है। स्वयं महात्मा गांधी जी ने हिंदुओं को आश्वस्त किया था कि देश के टुकड़े होंगे तो सबसे पहले मेरे टुकड़े होंगे। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू ने भी यही आश्वासन दिया था कि अगर इस देश के टुकड़े हुए तो हमारे टुकड़े होंगे। हिंदू आश्वस्त हो गया। मगर गांधी जी के इस कथन के मात्र तीन महीने बाद ही बाद मई 1947 में देश के विभाजन पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया गया और दो देश बना दिए गए। कांग्रेस पर हमला बोलते हुए आरएसएस के सरकार्यवाह कृष्णगोपाल ने देश के विभाजन का जिम्मेदार कांग्रेस के नेताओं और मंत्रियों को ठहराया।

नागरिकता कानून में 6 बार हो चुका है संशोधन

आरएसएस के सरकार्यवाह कृष्णगोपाल ने साफ तौर पर कहा कि नागरिकता संशोधन बिल इस देश में कोई पहली बार नहीं आया है। इससे पहले भी नागरिकता बिल में 6 बार संशोधन हो चुका है। एनडीए की सरकार में भी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई नागरिकता संशोधन बिल लेकर आए थे। उसके बाद यूपीए की सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नागरिकता संशोधन बिल का कार्यकाल 1 साल से लेकर 2 साल बढ़ाया। यूपीए सरकार ने फिर नागरिकता संशोधन बिल के कार्यकाल को एक साल के लिए और बढ़ा दिया। मगर यूपीए की सरकार में नागरिकता संशोधन बिल केवल जाति और धर्म के आधार पर लाया गया था।

इस बार जो नागरिकता संशोधन बिल आया है, वह किसी भारतीय की नागरिकता नहीं छीनता। चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो। यह नागरिकता संशोधन बिल भाषा जाति और धर्म के आधार पर नहीं लाया गया है। यानी यह उन लोगों के लिए लाया गया है जो देश के लिए खतरा बन रहे हैं। यह हमारे उन भाई-बहनों के लिए लाया गया है जो अन्य तीन देशों में प्रताड़ित हो रहे हैं या प्रताड़ित होकर पहले ही भारत देश में चुपके से रह रहे हैं। हम चाहते हैं कि वे भी नागरिकता लेकर सम्मान के साथ जियें। आखिर उनका क्या अपराध था।

मंच से शेर की तरह दहाड़ते हुए आरएसएस के सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल कांग्रेस, पाकिस्तान और बांग्लादेशियों पर जमकर हमला बोल रहे थे। नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में अपना पक्ष रखते हुए कृष्ण गोपाल ने एक उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि जैसे भारत में डॉ भीमराव अंबेडकर कानून मंत्री थे। संविधान के रचयिता थे। ऐसे ही देश बटवारे के समय जोगेंद्र नाथ मंडल पाकिस्तान चले गए और पाकिस्तान में विधि मंत्री बने। संविधान के रचयिता बने मगर वहां से प्रताड़ित और कुंठित होकर वे भारत लौटे। उन्होंने अपनी वेदना व्यक्त करते हुए एक लंबा पत्र लिखा जिसमें जोगेंद्र नाथ मंडल ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति बड़ी दयनीय है। कृष्ण गोपाल ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान के विधि मंत्री और संविधान के रचयिता जोगेंद्र नाथ मंडल के साथ पाकिस्तान में अन्याय और अत्याचार हो सकता है तो एक सामान्य नागरिक की स्थिति कैसी होगी।

आरएसएस के सरकार्यवाह कृष्णगोपाल ने साफ शब्दों में कहा कि यह नागरिकता संशोधन बिल भारतवासियों के लिए खतरे की घंटी नहीं है। मगर क्या विपक्ष यह चाहता है कि हम ओसामा के अनुयायियों को अपने देश में नागरिकता दे दे। क्या हम उन लोगों को नागरिकता दे जो देश में बंटवारे के समय इस देश को छोड़कर चले गए और उन्होंने एक अपना अलग देश बना लिया था। भारत में ऐसा कतई नहीं होगा। हम देश के गद्दारों को भारत की नागरिकता नहीं देंगे।

अंत में कृष्ण गोपाल ने यह बात कह कर समाप्त की कि नागरिकता संशोधन बिल को लेकर समाज में भ्रम फैलाया जा रहा है, एक जागरूक और जिम्मेदार देशवासियों होने के नाते हमें इसे रोकना होगा और विरोधियों से पूछना है कि आखिर विरोध करने का क्या कारण है, उनकी मंशा क्या है। हमें विशेष वर्ग के साथ बैठकर यह चर्चा करनी चाहिए कि नागरिकता संशोधन कानून वास्तव में आप की नागरिकता या अधिकार छीनने का बिल नहीं है।

Related Articles