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भाजपा प्रत्याशी प्रो. एस पी सिंह की बढ़ी मुश्किलें, गंवा सकते हैं मंत्री पद

by pawan sharma

आगरा। भाजपा लोकसभा प्रत्याशी प्रो0 एसपी सिंह बघेल की मुश्किलें कम होती नजर नही आ रही है। प्रत्याशी बनाये जाने के बाद से दलित समाज ने एसपी सिंह बघेल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और उन्हें नकली दलित तक कह दिया था। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार के धनगढ़ (गड़रिया) जाति को अनुसूचित वर्ग में शामिल कराने के नोटिफिकेशन पर स्टे लगा दिया है। जिससे प्रो. एसपी सिंह बघेल को बड़ा झटका लग सकता है।

आपको बताते चले कि एसपी सिंह बघेल ने यूपी सरकार के जिन नोटिफिकेशंस के आधार पर खुद को अनुसूचित जाति का बताते हुए आगरा की लोकसभा व टूंडला की विधानसभा रिजर्व सीट से चुनाव लड़ा। उन तीन नोटिफिकेशन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमल में लाने पर आज स्टे लगा दिया है। जिससे यूपी की योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री और आगरा की रिजर्व लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार एसपी सिंह बघेल की मुश्किलें बढ़ गयी है। हाई कोर्ट के इस स्टे के बाद से जाति के झमेले में फंसे एसपी सिंह बघेल का मंत्रीपद और लोकसभा की उम्मीदवारी अब दोनों ही खतरे में पड़ती हुई नज़र आ रही है।

हाई कोर्ट ने जौनपुर के राम प्रकाश और आगरा के बलवीर सिंह की ओर से इस शासनादेश को रद्द करने के लिए याचिका दाखिल की थी जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला लिया है।

बताया जाता है कि धनगर समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने को लेकर सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किए उस पर कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी से एससी की सूची में परिवर्तन का अधिकार सिर्फ संसद को है। राज्य सरकार इसमें किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं कर सकती है। हाई कोर्ट का मानना है कि यह नोटिफिकेशन गलत व संविधान के खिलाफ है।

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