आगरा। सोमवार को मंटोला थाना क्षेत्र के सदर भट्टी चौराहे पर मॉब लीचिंग के दौरान झारखंड में तरवेज अंसारी नाम के युवक की हुई हत्या के विरोध में जुलूस निकालने के दौरान हुए बवाल की गूंज लखनऊ तक पहुँच गयी और देर रात बाद आगरा के दो अधिकारियों पर गाज गिर गयी। इस बवाल में असामाजिक तत्वों ने आगरा सुलहकुल की नगरी को सुलगाने में कोई कोर कसर नही छोड़ी। असामाजिक तत्वों ने दुकानों में जमकर तोड़फोड़ की और लूटपाट करने के बाद जमकर पथराव किया। मॉब लीचिंग के विरोध में निकाले जा रहे जुलूस के दौरान कुछ लोगों ने जबरदस्ती दुकान बंद कराने का प्रयास किया था जिसके बाद यह बवाल हुआ था।
भले ही पुलिस प्रशासन ने दंगाइयों पर बहुत जल्द काबू पा लिया हो लेकिन यह बवाल क्यों हुआ और पुलिस का खुफिया तंत्र कैसे फैल हुआ इसे सूबे के मुखिया ने गंभीरता से लिया और इसकी गाज एसएसपी जोगिंदर और डीआईजी लव कुमार पर गिर गयी। एसएसपी जोगिंदर तो 20 दिन ही आगरा में टिक पाए। इन 20 दिनों में उन्होंने शहर को बदलने और अपराधियों पर लगाम लगाने का प्रयास किया लेकिन 10 मिनट के दंगे ने उनका ट्रांसफर करा दिया।
शासन ने देर रात एसएसपी जोगेन्दर कुमार को हटाकर उनके स्थान पर 2009 बैच के पुलिस अधिकारी आईपीएस बबलू कुमार को आगरा का नया एसएसपी बनाया गया है, पुलिस महानिरीक्षक लव कुमार को भी हटा कर आईजी जेल प्रशासन बनाया गया है, एसएसपी जोगेन्दर कुमार को एटा में 43 th बटालियन पीएसी का कमाडेंट नियुक्त किया गया है, जबकि प्रयागराज से बबलू कुमार को 4th बटालियन पीएसी से आगरा का नया एसएसपी बनाया गया है, पुलिस महानिरीक्षक पीएसी से हटाकर 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी सतीश गणेश को आगरा का नया आईजी बनाया गया।
बताया जाता है कि मॉब लीचिंग की गाज आगरा में ही पुलिस अधिकारियों पर नही गिरी है बल्कि अन्य जिले के एसएसपी भी बदले गए है। इन सभी तबादलों को माॅब लिचिंग को लेकर हो रहे बवाल से जोड़कर कर देखा जा रहा है, इसके अलावा मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और मेरठ जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक समेत प्रदेश के 22 आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर हुआ है।
आईपीएस बबलू कुमार, तेज तर्रार छवि के अधिकारी बताये जाते है जो दंगा नियंत्रण और अपराध पर नकेल कसने में माहिर हैं। मथुरा के जवाहर बाग कांड के बाद अखिलेश सरकार ने मथुरा की कमान बबलू कुमार को ही सौंपी थी। बबलू कुमार मूलरूप से बिहार के रहने वाले है।