Agra. भारत में भले ही रंगमंच यानी थियेटर कला धीरे धीरे विलुप्त हो रही है लेकिन जॉर्जिया ने आज भी इस कला को बेहतर तरीके से संभाला हुआ है। जॉर्जिया में रंगमंच यानी थियेटर को लोग इतना पसंद करते हैं कि वहाँ फ़िल्म की अपेक्षा लोग लाइव थियेटर प्ले देखना पसंद करते है। इसलिए तो जॉर्जिया में फ़िल्म बहुत कम बनती है। जॉर्जियन थियेटर (रंगमंच) कलाकार अपनी इस कला को आगरा शहर में विभिन्न नाटकों के माध्यम से प्रदर्शित करेंगे
इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस और एनजीओ कल्चरल डायवर्सिटी फॉर पीसफुल फ्यूचर जॉर्जिया के तत्वाधान में आगरा शहर में रंगलोक इंटरनेशनल थियेटर फेस्टिवल का आयोजन होने जा रहा है। इस इंटरनेशनल थियेटर फेस्टिवल के दौरान जॉर्जियन थिएटर कलाकार विभिन्न मुद्दों को आधार बनाकर कई नाट्य मंचन करेंगे। इस फेस्टिवल का आयोजन सूरसदन सभागार में 12 से 15 मार्च तक होगा। रोजाना शाम 7 बजे जॉर्जियन थियेटर (रंगमंच) कलाकार एक नया प्ले करेंगे।
इस फेस्टिवल में भाग लेने के लिए जॉर्जिया से करीब 70 कलाकार भारत आये है। यह सभी थिएटर आर्टिस्ट है जो चार दिनों तक सूरसदन प्रेक्षाग्रह के मंच पर अपना अभिनय दिखाएंगे। जिसमें जॉर्जिया के कई प्रमुख कलाकार और होस्ट शामिल होंगे। मूल रूप से दिल्ली के निवासी और करीब 20 सालों से जॉर्जिया में रह रहे प्रवासी भारतीय दर्पण पाराशर एनजीओ कल्चरल डायवर्सिटी फॉर पीसफुल फ्यूचर जॉर्जिया के फाउंडर है। जॉर्जिया में थिएटर आर्ट्स के क्षेत्र में काफी कार्य करते हैं। आगरा का इतिहास भी रंगमंच यानी थिएटर से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस विधा व कला को जीवंत रखने के लिए उन्होंने ही रंगलोक इंटरनेशनल थियेटर फेस्टिवल का आयोजन कराया है। उन्हीं के नेतृत्व में ही जॉर्जिया के थिएटर आर्टिस्ट थिएटर आर्ट का प्रदर्शन करने आये है।
चार दिवसीय थिएटर प्रोग्राम
दर्पण पाराशर ने बताया कि जॉर्जिया और भारतीय संस्कृति मिली-जुली है। इस संस्कृति को और ज्यादा मजबूत करने साथ ही दोनों देशों के कल्चरल रिलेशनशिप को और ज्यादा मजबूत बनाने के उद्देश्य को लेकर यह इंटरनेशनल फेस्टिवल किया जा रहा है। चार दिवसीय फेस्टिवल के दौरान चार अलग-अलग विषयों पर थिएटर आर्टिस्ट नाटक प्रस्तुत करेंगे। पहले दिन do they kill their hourses दूसरे दिन सूर्य की रेखा (line of the sun) तीसरे दिन माँ युद्ध (mother war) और चौथे दिन चिड़ियाघर की कहानी (the zoo story) नाटक का मंचन किया जाएगा। दर्शकों को नाटक के बोल समझने में परेशानी ना हो इसके लिए मंचन से पहले दो कलाकार हिंदी में नाटक और उसके विषय के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।
रामायण के मंचन की भी हो रही तैयारी
दर्पण पाराशर ने बताया कि भारत में रामायण का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। जॉर्जिया में भी रामायण का मंचन हो यह उनकी प्राथमिकताओं में से एक है। इसीलिए जॉर्जिया में मौजूद जॉर्जिया नेशनल ड्रामा के निदेशक रॉबर्ट इस्त्रुरुआ को मैंने हमारे इस धार्मिक ग्रंथ रामायण के बारे में बताया। उनसे रामायण के ऊपर नाटक तैयार करने को कहा तो उन्होंने रामायण मंगाई और उसका पूरा अध्ययन कर धार्मिक ग्रंथ के ऊपर एक नाट्य मंचन तैयार करने का निर्णय लिया। हमें उम्मीद है कि दीपावली से पहले हम रामायण का मंचन कर पाएंगे। यह मंचन श्री राम की नगरी अयोध्या में किया जाएगा।
भारत में अपनी चार प्रमुख नाटकों पर प्रस्तुति देने के लिए जॉर्जिया के थिएटर आर्टिस्ट पूरी तरह से तैयार हैं। इस समय उनके अंदर अलग ही उत्साह नजर आ रहा है। जॉर्जिया के थिएटर आर्टिस्ट भले ही जॉर्जिया की लैंग्वेज में प्ले का मंचन करें लेकिन उनका कहना है कि प्ले को समझने वाले के लिए भाषा कोई मायने नहीं रखती और ना ही भाषा उसके लिए अवरोध होती है, इसीलिए उनके नाटक भी सभी को पसंद आएंगे।