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शाही मस्जिद के कमेटी विवाद के बीच पूर्व अध्यक्ष ने आगरा प्रशासन पर लगाये ये गंभीर आरोप

by admin
Amidst the committee dispute of the Shahi Masjid, the former president made these serious allegations against the Agra administration

Agra. शाही जामा मस्जिद की व्यवस्थाओं व प्रबंधन का कार्य देखने वाली कमेटी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। नई प्रबंधन कमेटी के काबिज होने के बाद कमेटी के कमेटी के पूर्व अध्यक्ष असलम कुरैसी और हाजी जामिलुद्दीन कुरैशी ने कई गंभीर आरोप लगाए है। उनका कहना है कि नई कमेटी के अध्यक्ष के जाहिद व सचिव आजम खाँ मलिक ने वफ्फ बोर्ड को गुमराह व जालसाजी कर इस कार्यवाही को अंजाम दिया है।

पुलिस व प्रशासन पर आरोप

हाजी जामिलुद्दीन ने बताया कि इसलामिया लोकल एजेंसी के अध्यक्ष असलम कुरेशी की कमेटी को गलत साबित करने के लिए कुछ लोगों ने षड्यंत्र रचा और सुन्नी वफ्फ बोर्ड के सामने उसे गलत ठहरा दिया। सुन्नी वफ्फ बोर्ड की ओर से जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया कि नई कमेटी को कब्जा दिलाया जाए और पुलिस प्रशासन ने जबरदस्ती नई कमेटी को कार्यभार दिलवा दिया जबकि असलम कुरैशी और उनके कमेटी को अपना पक्ष भी नहीं रखने दिया। इस मामले में कोर्ट में मामला विचाराधीन है लेकिन इस बीच पुलिस और प्रशासन ने भी उनकी एक नहीं सुनी।

हाजी जमील उद्दीन कुरैशी ने कहा कि जामा मस्जिद की प्रबंध कमेटी से असलम कुरेशी को हटाए जाने के पीछे भाजपा के कुछ जनप्रतिनिधि भी लगे हुए हैं। इन जनप्रतिनिधि का ही नई कमेटी जिसका अध्यक्ष मौ० जाहिद व सचिव आजम खाँ मलिक को समर्थन है। पिछले दिनों क्षेत्रीय पुलिस की मदद से मोहम्मद जाहिद व सचिव आजम खां मलिक की नई कार्यकारिणी ने जामा मस्जिद की लोकल इस्लामिया एजेंसी ने पुलिस को पत्र लिखकर कमेटी और जामा मस्जिद कार्यालय ऑफिस पर कब्जा दिलाने की गुहार लगाई थी। आरोप है कि उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से आए पत्र के बाद पुलिस प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई करते हुए नई प्रबंधक कमेटी जो पूरी तरह से अवैध है, उसको चार्ज दिला दिया गया।

इस्लामिया लोकल एजेंसी के पूर्व चेयरमैन असलम कुरैशी का कहना है कि इस मामले में उन्होंने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया हुआ है। बिना कोर्ट के फैसले के स्थानीय प्रशासन कैसे किसी का घर खाली करा सकते हैं। असलम कुरैशी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को किसी भी कमेटी को कब्ज़ा देने का कोई अधिकार ही नहीं है तो फिर सुन्नी वफ्फ बोर्ड यह कदम कैसे उठा सकता है। मौ० जाहिद व सचिव आजम खाँ मलिक ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वफ्फ बोर्ड के साथ सांठगांठ कर इस घटना को अंजाम दिलवाया है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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