आगरा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ज्यादातर रोडवेज बसें ड्यूटी में लगी हुई है। जिसका फायदा डग्गामार वाहन संचालित ही नहीं रोडवेज बस के कर्मचारी भी उठा रहे हैं। रोडवेज बसों में यात्रियों से बिना टिकट दिए पैसे वसूले जा रहे हैं बल्कि फर्जी टिकट थमाकर यात्रा कराई जा रही है जिससे रोडवेज विभाग को आर्थिक चपत लग रही है। वहीं यात्रियों की सुरक्षा से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकारी बसों में यात्रियों से पैसे वसूलने के बाद उन्हें टिकट नहीं दी जाती। यदि कोई टिकट मांगने पर अड़ जाता है तो उसे कोई पुरानी टिकट पकड़ा दी जाती है। ऐसा ही मामला आगरा-बाह मार्ग पर बुधवार को देखने को मिला।
बाह क्षेत्र के गांव रुपपुरा निवासी विकलांग महिला सीता देवी पत्नी कृपाल सिंह के मुताबिक वह बुधवार सुबह अपने विकलांग पास को रिनुअल कराने के लिए आगरा गयी थी। शाम को लौटते समय वह आगरा फोर्ट डिपो बस स्टेशन से कस्बा बाह के लिए फाउंड्री नगर डिपो की रोडवेज बस संख्या UP80 DT 7984 में बैठी। बस पर तैनात परिचालक ने उससे टिकट लेने को कहा जिस पर उसने परिचालक को विकलांग पास दिखाया। मगर परिचालक ने महिला को विकलांग पास पर नि:शुल्क यात्रा नहीं करने की कहते हुए जबरन टिकट के रुपए ले लिए। जबकि विकलांग यात्री नि:शुल्क यात्रा कर सकता है।
आगरा से बाह तक के किराया लेने के बावजूद महिला यात्री को टिकट नहीं दिया। जब महिला ने बार-बार उससे टिकट के लिए जिद की तो उसने महिला को गाड़ी में पड़ी पुरानी टिकट जिस पर 55 रुपये व आगरा से अरनोटा अंकित था दे दिया। जब महिला ने कहा कि आपने पुराना टिकट दे दिया है तो परिचालक महिला से अभद्र व्यवहार करते हुए चुपचाप बैठकर चलने को कहा। चुप न बैठने पर रास्ते में उतारने की धमकी भी दी गई।
बाह बस स्टैंड पहुंचने पर महिला ने हंगामा करना शुरू कर दिया जिस पर लोग एकत्रित हो गए। तत्काल चालक परिचालक पोल खुलने के डर से बस को लेकर वापस आगरा चले गए। पीड़ित महिला ने उच्चाधिकारियों से शिकायत करने की बात कही है। सवाल यह है कि रोडवेज बसों में भोले वाले यात्रियों को ऐसे ही फर्जी टिकट थमा कर यात्रा कराया जा रहा है। अगर फर्जी टिकट के साथ कोई यात्री चेकिंग में पकड़ा जाता है तो उसे जुर्माना या सजा दोनों हो सकती हैं, या कोई घटना घटी तो आखिर उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी ये बड़ा सवाल है।