पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को निधन हो गया। वे कई वर्षों से बीमार चल रहे थे। तबीयत ज्यादा खबरा होने के बाद उन्हें 11 जून को दिल्ली के AIIMS में भर्ती कराया गया था जहां वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रहने के बाद गुरूवार को अंतिम सांस ली। पूर्व प्रधानमंत्री बाजपेई किडनी में संक्रमण, छाती में संकुचन और पेशाब संबंधी रोग से जूझ रहे थे। अटल बिहारी वाजपेयी 2009 से ह्वील चेयर पर थे और डिमेंशिया रोग से ग्रसित थे।
सभी राजनैतिक दलों ने व्यक्त की संवेदनाएं
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन की खबर जैसे ही दिल्ली के एम्स के मेडिकल बुलेटिन से जारी हुई वैसे ही भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ साथ विपक्ष के नेताओं में भी शोक की लहर दौड़ गई। हर कोई उनके निधन पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए भारत की राजनीति के एक युग का अंत होने की बात कहने लगा। भाजपा के साथ-साथ विपक्ष के नेताओं ने भी उनके निधन पर संवेदनाये व्यक्त की। गौरतलब है कि भारतीय राजनीति में विपक्ष उन्हें अजात शत्रु के नाम से पुकारा करते थे क्योंकि उन्होंने भारत की राजनीति को नई दिशा दी थी।
बुधवार रात से ही उनकी स्थिति बिगड़ती चले जाने की सूचना पर भाजपा नेताओं के साथ-साथ विपक्ष के नेता भी उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए AIIMS पहुंच रहे थे लेकिन गुरुवार शाम इस अजातशत्रु ने अंतिम सांस लेकर इस संसार को अलविदा कह दिया। अटल जी का पार्थिव शरीर एम्स से कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके आवास पर ले जाया जाएगा।
दिवगंत अटल जी का राजनैतिक इतिहास
अटल बिहारी वाजपेयी डिमेंशिया नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और 2009 से ही व्हीलचेयर पर थे। 2014 में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था।
अटल बिहारी वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। वो बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले और एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता थे। 25 दिसंबर, 1924 में जन्मे वाजपेयी ने भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए 1942 में भारतीय राजनीति में कदम रखा था।