उत्तर प्रदेश के चर्चित गैंगस्टर विकास दुबे केस में नई बात सामने आई है। दरअसल साल 2020 की दो जुलाई को रात के वक्त कानपुर के बिकरू गांव में दबिश देने के लिए पुलिस टीम तीन हिस्सों में बंटकर विकास दुबे के घर की पहुंची थी। जानकारी के मुताबिक रास्ते में जेसीबी खड़ी थी। जब पुलिस कर्मियों ने उसे पार करके आगे बढ़ना चाहा तो विकास के घर की छत पर कुछ हलचल दिखाई दी। मानो ऐसा लगा जैसे लोग भाग दौड़ कर रहे हों। पुलिस टीमों को लगा कि गैंगस्टर विकास दुबे निकल भागेगा। जिसके चलते टीम भी भागने लगी। तभी विकास दुबे ने पहला फायर झोंका और जोर से चिल्लाया जिसे टीम समझ नहीं सकी। अंदाजा लगाया जा रहा है कि शायद यह कोई कोड वर्ड था।जैसे ही चिल्लाने की आवाज आई वैसे ही छतों से गोलियां बरसने लगीं।
चार्जशीट के हिसाब से बिकरू कांड में हुई पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद जब सारा माहौल शांत हो चुका था तो विकास एक बार फिर चिल्लाया। इस बार घायल जवान उसकी आवाज सुन चुके थे। विकास दुबे बार-बार बनकाट बनकाट कह रहा था।अप पुलिस कर्मियों के सामने सवाल यह खड़ा था कि आखिर यह बनकाट है क्या? इस बात का मतलब कोई नहीं जान सका।लेकिन इसका भी अंदाजा लगाया जा रहा है शायद इसका मतलब भाग निकलना था। कहा जा रहा है कि विकास दुबे का गैंग इस बात से भलीभांति परिचित था। दरअसल बनकाट शब्द सुनकर उसकी गैंग के सभी लोग भाग निकले। जब पीछे से पुलिस फोर्स पहुंची तो घरों की तलाशी लेने पर बदमाश नहीं मिले।
दबिश देने गए सिपाही प्रवीण कुमार ने अपने बयान में कहा, ‘बदमाशों ने हमें घेर लिया था। वे ताबड़तोड़ फायरिंग कर रहे थे। फोर्स को सूचना दे दी गई थी। जिसके बाद अतिरिक्त फोर्स हूटर बजाते हुए हुए गांव पहुंची। हूटरों की आवाज सुनने के बाद विकास दुबे कसकर चिल्लाया… बनकाट। जिसके बाद वो और उसके गुर्गे फरार हो गए। गांव से जाते वक्त विकास महिलाओं से बोला कि सब अपने घर में घुस जाओ। पुलिस आए तो खोलना नहीं।’
वहीं हेड कांस्टेबल अखिलेश कुमार और सिपाही नवनीत ने अपने स्टेटमेंट में कहा कि ‘ जब हम लोग बिकरू में घुसे तब विकास दुबे के घर की छत पर बदमाश छुपे बैठे थे। पुलिस को देखकर वह नीचे जाने लगे। लगा कि वह भागने का प्रयास कर रहे हैं। मगर वह भागे नहीं। पुलिस पर फायर खोल दिया।’