आगरा। कजाकिस्तान के तड़ित कृष्ण दास 1998 से श्रीकृष्ण की भक्ति में ऐसे रमे हैं कि अब वह अपना पुराना नाम याद नहीं रखना चाहते। सिर पर शिखा, माथे पर हरिनाम का तिलक और हाथ व गले में तुलसी माला और मुख पर हरे कृष्ण महामंत्र। यही पहचान है उनकी। कभी एक दिन में पांच बार मांसाहार करने वाले तड़ित कृष्णदास को अब श्रीहरि की प्रसादी के स्वाद और हरीनाम संकीर्तन के परमानन्द के अलावा कुछ नहीं पता। मांसाहार छोड़ा तो खुद अपने लिए वर्षों तक खाना पकाना पड़ता था। लोगों का विरोध भी सहा लेकिन बाद में आस-पास के लोग भी सहायक बन गए।
कमला नगर स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर में कार्तिक उत्सव में तड़ित कृष्ण दास अपने देश के 25 श्रीकृष्ण के अनुयायियों के साथ भाग लेने पहुंचे हैं। इनमें से ज्यादातर हिन्दी के नाम पर सिर्फ हरे रामा…, हरे कृष्णा ही बोलना और इसका अर्थ जानते हैं। प्रतिदिन नगर कीर्तन कर श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रचार कर रहे हैं। आज सुबह पालीवाल पार्क और संध्या काल में ग्वालियर रोड स्थित देवरी गांव में नगर कीर्तन किया।
तड़ित कृष्ण दास कहते हैं श्रीकृष्ण भक्ति का प्रभाव अभी लोग जानते नहीं। इसलिए इधर-उधर शांति और समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे हैं। जब श्रीकृष्ण की भक्ति का स्वाद मिलता है तो आनन्द की प्राप्ति होगी। आतंकवाद का समाधान सिर्फ श्रीहरि की भक्ति है। श्रीकृष्ण की भक्ति का अर्थ प्रेम का प्रचार है। जिससे भाईचारा फैलता है। श्रीमद्भगवत गीता के अनुसार सभी जीव एक ही भगवान की संतान हैं। आतंकवाद राजनीतिक स्वार्थ के कारण पनप रहा है। जब श्रीकृष्ण की भक्ति से जुड़ेंगे तो सबका भला करने की सोचेंगे। कजाकिस्तान की दो करोड़ की आबादी में 4-5 मंदिर और 3-4 हजार लोग भगवान श्रीकृष्ण के अनुयायी हैं। लगभग एक वर्ष तक हरेकृष्ण महामंत्र की प्रतिदिन 16 माला करने के एक वर्ष बाद दीक्षा लेकर स्वेथलाना अब सुभद्र पूर्णिमा, बगदाद अब भक्तदेवी दासी, अंद्री अब अशोक किशोर दास, भक्तिगली (टर्की नाम) अब भक्तरूपा प्रभू, इरीना अब यमुना सुन्दरी नाम पाकर प्रसन्न हैं।
इस्कान में बह रही हरि नाम की भक्ति
इस्कॉन मंदिर आगरा के अध्यक्ष अरविन्द प्रभु ने बताया कि कजाकिस्तान के सभी 25 भक्तों के साथ मंदिर में हर रोज दीपदान का आयोजन किया जा रहा है। प्रातः नगर कीर्तन कर श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रचार किया जा रहा है। अपने हाथों के श्रीराधा-कृष्ण के भक्तिमय चित्रों को उकेर कर साथ लेकर आएं हैं कजाकिस्तान के अनुयायी।
श्रीकृष्ण भक्ति ने दूर किया अवसाद
जीनत निजि कारणों के कारण डिप्रेशन में थी। योगा क्लास सर्च कर रही थी, लेकिन भागवत क्लास के बारे में पता चला। उन्होंने योगा और श्रीकृष्ण भक्ति की शरण ली। विश्वास नहीं था माला करने में परन्तु ट्राई किया। अच्छा लगने लगा जीवन और घर परिवार के माहौल में परिवर्तन देख। 16 माला प्रतिदिन करती हैं। अगले वर्ष दीक्षा लेंगी।