आगरा। आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन आगरा द्वारा टोटो सलूजा सेनेटरी स्टोर के साथ होटल क्लार्क्स शिराज में आयोजित चतुर्थ दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस “आरकौन एक्सपो एंड सम्मिट-2022” के दूसरे दिन मंगलवार को “ब्रेकिंग द बैरियर: आर्किटेक्चर बियोंड डिजाइन” और “चेंजिंग ट्रेंड्स इन आर्किटेक्चर” पर विशेषज्ञों ने विचार साझा किए। इस दौरान बिल्डिंग मटेरियल एंड डिजाइन एग्जिबिशन में भवन बना रहे लोगों की दिनभर चहल-पहल बनी रही।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से कर रहे जागरूक
दिल्ली के विकास पवार ने कहा कि अब शहरों की बेहतर डिजाइनिंग के लिए आर्किटेक्ट्स के साथ आम नागरिकों और ब्यूरोक्रेट्स की भूमिका भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि वह अपने आर्किटेक्चरल ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म री थिंकिंग द फ्यूचर के माध्यम से आर्किटेक्ट्स के साथ-साथ आम नागरिकों और ब्यूरोक्रेट्स को जागरूक और शिक्षित कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि आम नागरिक जब जागरूक होंगे तो वे समझ सकेंगे कि हवा और प्रकाश की घर में जरूरत है। तब वे घर की खिड़कियों को पैक नहीं करेंगे। इसी तरह जागरूक ब्यूरोक्रेट्स अर्बन डिजाइनिंग में सार्वजनिक स्थानों को अधिक उपयोगी, बेहतर और सुविधाजनक बना सकेंगे।
नोएडा के वसंत पकीरीसामी ने कहा कि आज के आर्किटेक्ट केवल इमारतों के नक्शे मात्र ही नहीं बना रहे हैं बल्कि इससे बढ़कर वे इमारत के भीतर फर्नीचर, लाइट्स, प्रोडक्ट्स, वॉल पेंटिंग्स आदि को भी एक बेहतर शेप देने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज आर्किटेक्ट्स बिल्डिंग्स में आर्ट, स्कल्पचर और इंस्टॉलेशंस द्वारा हार्ट टचिंग इमोशंस क्रिएट कर रहे हैं।
शहरों की निरंतर मैपिंग – अपग्रेडेशन जरूरी
जेंडर एंड स्पेस पर काम कर रहीं दिल्ली की ऋति मंडल ने कहा कि शहर निरंतर बदल रहे हैं। इसलिए इनकी निरंतर मैपिंग और उसके अनुसार अपग्रेडेशन जरूरी है। उन्होंने कहा कि शहरों की डिजाइनिंग और प्लानिंग करते वक्त वृद्धों, बच्चों, दिव्यांगों और औरतों का ख्याल रखकर फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलप करना चाहिए। खासतौर से लेडीज के लिए टॉयलेट और उनकी सुरक्षा का खास ख्याल रखना चाहिए।
भवन निर्माण में करें लकड़ी का उपयोग
आगरा के अनुराग खंडेलवाल ने भवन निर्माण में लकड़ी का उपयोग करने पर जोर देते हुए कहा कि निर्माण में कंक्रीट और स्टील का उपयोग लगभग 15 फीसदी तक कार्बन उत्सर्जित करता है, जबकि लकड़ी का उपयोग कार्बन को सोख कर पर्यावरण में कार्बन को कम करता है। लकड़ी एक सस्टेनेबल, ईको फ्रेंडली, री ग्रो, रीसाइकिल व रीयूज प्रोडक्ट है। यही नहीं, लकड़ी के उपयोग से निर्माण में समय कम लगता है। खर्चा कम आता है। खूबसूरती के साथ 5 गुना मजबूती भी बढ़ जाती है।
लिमिटेड कंपनियों को मिले प्रैक्टिस का अधिकार
आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन आगरा के प्रेसिडेंट समीर गुप्ता विभव ने कहा कि वर्ष 1972 में बने आर्किटेक्ट एक्ट को 50 साल पूरे हो गए हैं। इस कालखंड में परिस्थितियां बहुत बदल गई हैं। लिहाजा अब इस एक्ट में सुधार जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि काम का स्केल और दायरा बढ़ने से अब बड़ी फर्म बनाना आवश्यक हो गया है। ऐसे में प्राइवेट लिमिटेड और पब्लिक लिमिटेड कंपनियों को भी आर्किटेक्चर की प्रैक्टिस करने का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी आर्किटेक्ट्स इंस्टाग्राम मार्केटिंग पर ही निर्भर हैं। डॉक्टर्स व अन्य प्रोफेशनल्स की तरह उनको भी स्वयं की पब्लिसिटी का राइट मिलना चाहिए।
चेंजिंग ट्रेंड्स इन आर्किटेक्चर पर बोलते हुए पैरामेट्रिक आर्किटेक्चर के विशेषज्ञ दिल्ली के मनीष गुलाटी ने कहा कि आज जरूरत है कि हम ट्रेडिशनल आर्किटेक्चर वाली सोच को मॉडर्नाइज रूप प्रदान करके पैरामेट्रिक आर्किटेक्चर तैयार करें। ताजमहल की तरह स्ट्रक्चर के एक-एक हिस्से को सोच समझकर तराशें। हर चीज सोच समझकर डिजाइन करें। एक साथ नहीं, टुकड़ों-टुकड़ों में इमारत बनाएं। आर्किटेक्चर के साथ क्राफ्ट और तकनीकी का समझदारी पूर्ण सुंदर समावेश करें।
न्यूज़लेटर किया जारी
एक्सपो के समापन पर आर्किटेक्ट एसोसिएशन आगरा द्वारा अनुराग खंडेलवाल के संपादन में प्रकाशित एसोसिएशन का न्यूज़लेटर विमोचन कर जारी किया गया।
इस दौरान अमित जुनेजा, अमित बघेल, यशवीर सिंह, सुनील चतुर्वेदी, सिद्धार्थ शर्मा, अजय शर्मा, अवंतिका शर्मा, जसप्रीत सिंह, राहुल गुप्ता, प्रीतम सिंह, अनुज सारस्वत, राजेश कुमार, दक्ष शर्मा, अनुभव दीक्षित, रजनी जुनेजा, सुरुचि शर्मा और पार्थसारथी चक्रवर्ती (गुरुग्राम) भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे। श्रद्धा अरोरा और श्रुति बंसल ने संचालन किया। कुमार ललित मीडिया समन्वयक रहे।
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