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ताज़महल के बंद कमरों को खुलवाने के लिए डाली गई याचिका को हाईकोर्ट ने किया ख़ारिज, की ये टिप्पणी

by admin
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Agra. ताजमहल के बंद 22 कमरों को खोलने की गुजारिश वाली याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आज गुरुवार को खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जनहित याचिका की प्रणाली का मजाक न बनाएं। अपने विषय पर पहले सही से रिसर्च करें। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय में अपना नामांकन कराएं, यदि कोई विश्वविद्यालय आपको ऐसे विषय पर शोध करने से मना करता है तो हमारे पास आएं।

भाजपा नेता ने दायर की थी याचिका

बता दें कि यह याचिका अयोध्या के भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह ने दायर की थी। याचिका में इतिहासकार पीएन ओक की किताब ताजमहल का हवाला देते हुए दावा किया गया था कि ताजमहल वास्तव में तेजो महालय है, जिसका निर्माण 1212 ईसवीं में राजा परमर्दिदेव ने कराया था। याचिका में यह भी दावा है कि ताजमहल के बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर है।

जस्टिस उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को कहा कि जाओ यूनिवर्सिटी में और पीएचडी करो कि ताज महल किसने बनवाया। अगर रिसर्च से कोई रोके तब हमारे पास आना। जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा कि इतिहास क्या आपके मुताबिक पढ़ा जाएगा। ताजमहल कब बना, किसने बनवाया, जाओ पढ़ो पहले। फिर हमारे पास आना। पीआईएल व्यवस्था का मज़ाक न बनाओ।

ताजमहल को लेकर डाली गई जनहित याचिका को निरस्त किए जाने से हिंदूवादी संगठनों में निराशा है। राष्ट्रीय हिंदू परिषद भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोविंद पाराशर का कहना था कि एक बार हाई कोर्ट को याचिका की याचिका पर सुनवाई करनी चाहिए थी। उनका भी पक्ष सुनना चाहिए था। ताजमहल में बंद 22 कमरे खुलते तो उसका रहस्य उजागर हो सकता था। कहा जाता है जब न्याय लिए सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तो सिर्फ कोर्ट का ही दरवाजा बचता है। ऐसे में कोर्ट ने ही सारे रास्तों को बंद कर दिया लेकिन हिंदूवादी अपनी इस लड़ाई को जारी रखेंगे।

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