Agra. आगरा विकास प्राधिकरण के एक आदेश के बाद ब्लॉक बिचपुरी मौजा मोहमद पुर में रहने वाले लगभग 150 परिवारों की नींद उड़ी है। आगरा विकास प्राधिकरण ने यहां के लगभग 150 घरों को तोड़ने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं और इन आदेशों को एडीए कर्मचारी अमलीजामा पहनाने में लगे हुए हैं। एडीए कर्मचारियों ने मोजा मोहम्मद पुर में अवैध निर्माण को लेकर नापतोल शुरु कर दी है, साथ ही घरों पर लाल निशान लगाना भी शुरू कर दिया है। इन निशानों को देखकर इन घरों में रहने वाले लोगों की सांसे हालत में ही अटक गई हैं। लोगों का कहना है कि खून पसीने से कमाई रकम से यह भूमि खरीदी थी और उस पर अपने सपनों का आशियाना बनाया था लेकिन अब यह आशियाना उन्हीं की आंखों के सामने उजड़ने वाला है।
पीड़ित गजेंद्र ने बताया कि जिस भूमि को एडीए अपना बता रहा है, उसका खसरा नंबर 208, 219 और 220 है। इस भूमि को लोगों ने कॉलोनाइजर सुशील कुमार गोयल से सन 1990 में जमीन खरीदी थी। उसके बाद हम लोगों ने इस भूमि पर अपने सपनों का आशियाना बनाना शुरू कर दिया। लगभग 30 सालों से यहां पर अपना घर बना कर रह रहे हैं। इस जमीन की उनके पास रजिस्ट्री भी है लेकिन तत्कालीन एक अभियंता सीपी सिंह ने गलत रिपोर्ट बनाकर पेश की कि यह भूमि खाली है और जमीन पर मकान नहीं बने हुए है। जब मामले ने तूल पकड़ा तो इसके शिकार एडीए वीसी से की गई। शिकायत पर तत्कालीन एडीए वीसी रनवीर सिंह ने दौरा किया और जांच रिपोर्ट को गलत पाया जिसके बाद एडीए वीसी ने तत्कालीन अभियंता सीपी सिंह को निलंबित भी कर दिया था। लेकिन उसके बाद एक बार से 2005 में यह विवाद सामने आया और एडीए ने फिर नापतोल शुरू कर दी। एकत्रित होकर लोगों ने एडीए में शिकायत दर्ज कराई तो कॉलोनाइजर ने एडीए के सामने भूमि विनमय (जमीन के बदले जमीन) का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को लेकर एडीए की बोर्ड मीटिंग में इस पर चर्चा हुई और भूमि को बदले जाने पर मुहर लगी लेकिन आज तक उस आदेश को अमलीजामा नहीं पहनाया गया है।

एक पीड़ित ने बताया कि 2 साल पहले ही उसने यह जमीन खरीदी है और अपने सपनों का आशियाना बनाया है। जिसे जमीन खरीदी थी, वह भी एडीए का कर्मचारी था लेकिन आज एडीए वाले इस जमीन को अपना बता रहे हैं जबकि उसके पास इस जमीन की रजिस्ट्री भी है। एडीए के कर्मचारी उनके मकानों पर नापतोल कर निशान लगा गए हैं और यह जमीन खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। इस घटना के बाद पीड़ित काफी दुखी है और कोरोना के इस काल में सब कुछ बर्बाद हो जाने की बात कह रहा है।

पीड़ितों का कहना है कि अब तो आलम यह है कि इस भूमि पर घर बना कर जिंदगी भर की खून पसीने की कमाई लगा दी और अब सब कुछ बिछड़ने को तैयार है। अगर यहां पर घर टूटे तो उनके पास कुछ भी नहीं बचेगा। जिंदगी भर की कमाई के लाले पड़ जाएंगे। पहले से ही हम खाली हाथ बैठे हैं। पिछले 2 सालों में कोरोना ने व्यापार की कमर तोड़ दी है, ऐसे में अगर एडीए उनके सपनों के आशियाने को तोड़ देगा तो वे कहां जाएंगे।
पीड़ितों का कहना है कि इसमें उनकी क्या गलती है यहां जितने भी मकान बने हैं। उन सब पर उसकी रजिस्ट्री है एडीएम प्रशासन को कॉलोनाइजर सुशील गोयल पर कार्यवाही करनी चाहिए क्योंकि उसी ने सभी को जमीन बेची है। अगर जमीन एडीए की थी तो वह जमीन कैसे बेच सकता था। फिलहाल एडीए और कॉलोनाइजर के बीच यहां के वाशिंदे पिस रहे हैं।