आगरा। हाथरस जिले में एक युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और उसके बाद हुई दरिंदगी ने दिल्ली के निर्भया कांड की याद ताज़ा कर दी है। मौत से जिंदगी की लड़ाई लड़ रही हाथरस की इस निर्भया ने मंगलवार को दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। जैसे ही पीड़ित युवती की मौत की सूचना हॉस्पिटल से बाहर आई। हाथरस के साथ आसपास के जिलों में दलित समाज के लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन करने लगे। आगरा भी इससे अछूता नहीं रहा। शहर में दलित समाज के लोगों ने कई जगह प्रदर्शन किया तो वहीं वीर वाल्मीकि और भारतीय महिला सुरक्षा संगठन के लोगों ने एमजी रोड और पैदल मार्च निकाला। हाथों में मृतका के हत्यारों के पुतले को लेकर हरीपर्वत थाने के सामने प्रदर्शन किया और पुतला दहन कर अपना आक्रोश जताया। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग को लेकर समाज के लोगों ने हरीपर्वत थाने का भी घेराव किया और जमकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान वाल्मीकि समाज के लोगों की पुलिस अधिकारियों से झड़प भी हुई तो पुलिस में कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया।
घटना 14 सितंबर की है। बताया जाता है कि हाथरस में चंदपा क्षेत्र की ये युवती अपनी मां के साथ पशुओं का चारा लेने खेतों पर गई थी तभी गांव के कुछ दबंग युवकों ने उसे दबोच लिया और उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। गैंगरेप के दौरान चारों युवकों ने दरिंदगी की हद पार कर दी। लड़की की चीखने पर जब उसकी माँ पहुँची तो पैरों तले जमीन खिसक गई। आनन-फानन में लोगों की मदद से लड़की को अलीगढ़ के जे एन अस्पताल में भर्ती कराया गया और पुलिस को सूचना दी। लड़की ने अपने बयान में बताया कि गैंगरेप के बाद उसकी हत्या का प्रयास किया गया। मेडिकल जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि लड़की की गर्दन को बेदर्दी से मरोड़ा गया था जिसकी वजह से सर्वाइकल स्पाइन इंजरी हो गई है। हालात गंभीर देखते हुए उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
इस मामले में पुलिस की कार्यवाही ढीली रही जिससे लोगों का आक्रोश भड़क गया। लोगों ने प्रदर्शन किया तो पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करना शुरू किया। समाज के प्रदर्शन के बाद पुलिस के आलाधिकारियों ने इलाके के थानेदार को लाइन हाजिर भी कर दिया गया था। चारों आरोपियों की पहचान संदीप, रामू, लवकुश और रवि के रूप में हुई है।
इस प्रदर्शन के दौरान अन्य सामाजिक व राजनैतिक दल सामने न आने से भारतीय महिला सुरक्षा की अध्यक्षा प्रियंका वरुण ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उनका कहना था कि आज दलित समाज के अलावा उस बहन को इंसाफ़ दिलाने के लिए कोई और दूसरा समाज और राजनीतिक दल सामने नहीं आया, इससे पक्षपात साफ नजर आता है। आज बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार के नुमाइंदे भी नजर नहीं आये लेकिन वाल्मीकि समाज की इस बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए समाज हर स्तर की लड़ाई लड़ेगा।
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वाल्मीकि समाज के नेता अजय वाल्मीकि ने कहा कि इस घटना ने निर्भया कांड की याद दिला दी है। यह एक जघन्य अपराध है क्योंकि इसमें एक जाति विशेष का प्रति घृणा भी सम्मिलित है मगर देश में इस बेटी के लिए निर्भया जैसा गुस्सा नहीं दिखा। अगर इस बेटी के आरोपियों को फांसी की सजा नहीं हुई तो समाज के लोग आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
वहीं पीड़िता की मौत के बाद बाद अचानक हुए वाल्मीकि समाज के उग्र प्रदर्शन को देखकर प्रदर्शन को देखकर पुलिस के हाथ पांव फूल गए फूल गए। तत्कालीन एसपी सिटी रोहन पी बोत्रे के नेतृत्व में पुलिस ने इस प्रदर्शन को किसी तरह समाप्त कराया। कोविड-19 काल में भीड़ के जुटने पर हरीपर्वत थाने में महामारी अधिनियम और लोक व्यवस्था भंग करने की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया है। वाल्मीकि संगठन के श्रीकांत चौहान चौहान सहित चार लोगों को मौके से गिरफ्तार किया गया है। मुकदमे में 100 अज्ञात भी शामिल किए गए हैं।
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