आगरा। आगरा के थाना सिकंदरा अंतर्गत बावरपुर में 15 दिन पहले एक ट्रक चालक एक गर्भवती महिला को छोड़ गया था। वह खुले में रहने को मजबूर थी। भाषा से वह बिहार की लग रही है। वह बहुत डरी हुई और आक्रोशित थी। उसके साथ कुछ गलत हुआ है लेकिन भाषा की अनभिज्ञता के कारण वह बता नहीं पा रहा थी, उसे ईलाज और आश्रय की जरूरत थी। वह खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर थी।
जानकारी मिलने पर सोशल एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस महिला से मिलने पहुंचे। उससे बात की लेकिन भाषा समझ नहीं आई। डीएम तथा पुलिस मुख्यालय से महिला को आश्रय दिलाने के लिए ट्वीट किया। मुख्यालय से महिला को आश्रय दिलाने के निर्देश जारी किए लेकिन आगरा पुलिस ने खास रुचि नहीं दिखाई। जब बीस घंटे बाद भी महिला को आश्रय नहीं मिला तो नरेश पारस ने पुनः डीजीपी को ट्वीट कर महिला को आश्रय दिलाने और ईलाज की मांग की। उन्होंने कहा महिला गर्भवती होने के कारण कमजोर भी है। वह असुरक्षित है, उसके साथ कोई अप्रिय घटना घट सकती है। पुलिस मुख्यालय से फिर आदेश जारी किए गए। पुलिस कंट्रोल रूम से सिकंदरा पुलिस को निर्देशित किया गया। नरेश पारस खुद बावरपुर पहुंचे और थाना सिकंदरा पुलिस द्वारा उसे रामलाल आश्रम में आश्रय दिलाया।
नरेश पारस ने कहा कि कुछ दिन पहले फिरोजाबाद में ट्रक चालक एक गर्भवती महिला को छोड़ गया था। उसके बाद आगरा में यह गर्भवती महिला मिली है। उसकी उम्र लगभग 22 वर्ष है। इसका समुचित ईलाज और देखभाल की जरूरत है। इसकी काउंसलिंग कराई जाए तो इसके परिवार को खोजा जा सकता है।