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पीएम को खत लिख एक परिवार ने मांगी इच्छामृत्यु, जाने क्यों

by pawan sharma

आगरा में एक पिता ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है। पीड़ित पिता अपनी बेटी के इलाज नही करा पा रहा है और बेटी का दर्द उससे देखा नही जा रहा है। ऐसा नही है कि इस पिता ने पिता का फर्ज निभाने में कोई कोर कसर छोड़ी हो। यहाँ तक कि बेटी के इलाज के लिए अपना घरबार भी बेच कर सब कुछ बेटी पर न्यौछावर कर चुका है। अब उसके पास इलाज के लिये पैसे नहीं है। कही से कोई मदद भी नही मिल पा रही है। इसलिए अब इस पीड़ित पिता ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पूरे परिवार के साथ इच्छामृत्यु की मांग की है।

मामला पुरा लोधी जलेसर रोड का है। इस क्षेत्र में रहने वाले सुमेर सिंह मजदूरी कर अपना परिवार चलाते हैं, लेकिन पिछले दो साल से सुमेर अपनी 16 साल की बेटी ललिता का इलाज करा करा कर थक चुके हैं। ललिता को एप्लास्टिक अनीमिया नाम की गंभीर बीमारी है। इस बीमारी के चलते शरीर में खून बनना बंद हो जाता है और पीड़ित को जिंदा रखने के लिए हफ्ते में एक बार खून चढ़ाया जाता है। इसी के चलते सुमेर सिंह अब तक लाखों रुपये बेटी के इलाज में खर्च कर चुके हैं।

इलाज के अभाव में यह किशोरी जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। बेटी के इलाज के चलते पिता कर्जदार हो गया। इलाज कराते कराते पिता की दयनीय स्थिति होने के कारण अब हालात इतने खराब हो चुके हैं कि अब बेटी के इलाज के लिए कुछ भी नही बचा।

बेटी को तड़पता देख और कोई राहत न मिलने पर सुमेर सिंह के एक परिचित ने उन्हें अलीगढ के सांसद राजवीर सिंह के पास लेकर पहुंचे जहां से उनकी मदद के रूप में जो मदद मिल सकती थी वो तो मिली लेकिन उससे भी कोई राहत नहीं मिली। जिसके बाद पीड़ित पिता ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा जिसके बाद प्रधानमंत्री राहत कोष से 3 लाख रुपए की सहायता राशि स्वीकृत की गई और जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल को पैसा भी ट्रांसफर कर दिया गया लेकिन बेटी का इलाज फिर भी नही हो सका।

पीड़ित पिता जब बीमार बेटी को एसएमएस हॉस्पिटल लेकर पहुंचे तो डॉक्टरों ने 10 लाख का खर्चा बताया। डॉक्टरों का कहना था कि बोनमैरो बदलना पड़ेगा तब जाकर बेटी की जान बच सकेगी। डॉक्टरों ने पीड़ित पिता से 7 लाख और लाने के बाद ही इलाज शुरू होने की बात कह दी। पीड़ित पिता का कहना है कि अब वो सात लाख रुपए कहां से लाये लेकिन कई बार हॉस्पिटल जाने के बाद भी कोई मदद नही मिली। जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में राहत कोष से आये 3 लाख रुपए पिछले साल सितंबर 2018 में ट्रांसफर हुए थे लेकिन इलाज आज तक नहीं मिल पाया।

केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना भी इस परिवार का सहारा नहीं बन सकी। भविष्य के इलाज के लिए आयुष्मान योजना के लिए पहुंचे पिता को वहां भी निराशा ही हाथ लगी। लिस्ट में नाम न होने से कार्ड नहीं बन सका और न ही इलाज मिल सका। हर तरफ से निराश हो चुके पिता और उनकी बीमार बेटी मोदी सरकार से मदद की उम्मीद लगाये बैठे हैं। पिता ने जहां सरकार से बेटी के लिए इलाज या परिवार सहित इच्छामृत्यु की मांग की है तो बेटी भी पिता की हालत देख भगवान से अपने लिए मौत मांग रही है।

इस पूरे मामले पर जब मुख्य चिकित्साधिकारी मुकेश वत्स से बात की गई तो उनका कहना था कि अगर परिवार उनसे मुलाकात करता है तो वो हर संभव मदद करने के लिए तैयार हैं। जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री राहत कोष तक से इलाज कराया जा सकता है। बेटी के लिए खून की कमी भी नहीं होने दी जाएगी।

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