आगरा। जनपद में गैर वायु प्रदूषणकारी इकाईयों की स्थापना और उनके विस्तार की अनुमति होनी चाहिए, यह बात आगरा की विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा अवनीश अवस्थी, प्रमुख सचिव (पर्यटन), उ0प्र0 शासन के समक्ष मजबूती से रखी गई। प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व पूर्व विधायक केशो मेहरा ने किया। प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के निदेशों के क्रम में ताज ट्रिपेजियम ज़ोन क्षेत्र का विज़न प्लान बनाया जा रहा है और जिसका प्रारूप स्कूल ऑफ प्लानिंग एण्ड आर्कीटैक्चर द्वारा बनाया जा चुका है, जिस पर आपत्तियाँ व सुझाव आमंत्रित किये गये थे।
प्रतिनिधि मण्डल द्वारा यह बात रखी गई कि 10,400 वर्ग किमी क्षेत्र में 6 जनपदों में फैले टीटीजैड क्षेत्र का विज़न प्लान अति महत्वपूर्ण अभिलेख होगा, जो इस क्षेत्र के विकास एवं पर्यावरण का आधार होगा। इसलिए इस अभिलेख को बनाने से पूर्व सभी स्टेक होल्डर्स के साथ गहन विचार-मंथन कर सुझाव लेने चाहिए।
पूर्व विधायक केशो मेहरा ने विज़न प्लान में उद्योगों के रीलोकेशन के प्राविधान का विरोध किया और यह बात रखी कि नगर निगम सीमा में नुनिहाई, फाउण्ड्री नगर, सिकन्दरा साइट-सी व रामबाग आदि अनेक औद्योगिक स्थान हैं, जहाँ की कार्यरत इकाईयों को स्थानान्तरित करने पर कानून व्यवस्था का भी प्रश्न उठेगा जबकि उन्हें रीलोकेट करने का कोई कारण भी नहीं है।
लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष राकेश गर्ग ने कहा कि यदि विज़न प्लान में सुधार नहीं हुआ तो बैराज, सिविल एन्क्लेव, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि महत्वाकांक्षी योजनायें पूर्ण नहीं हो सकेंगी क्योंकि यह सभी योजनायें औरेंज व रैड कैटेगरी के अंतर्गत हैं। केवल वायु प्रदूषणकारी कोयले व कोक से चलने वाली इकाईयों पर ही रोक होना चाहिए।
आगरा डवलपमेन्ट फाउण्डेशन के सचिव के.सी. जैन ने यह बात रखी गई कि विज़न प्लान में यह प्रस्तावित प्राविधान गलत है। आगरा जनपद में व्हाइट एवं ग्रीन कैटेगरी के उद्योग ही अनुमन्य होने चाहिए। आगरा में बनाया जाने वाला सिविल एन्क्लेव और 100 कमरों से बड़े 5-सितारा होटल भी रैड कैटेगरी में आते हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 20 हजार वर्गमीटर से अधिक कवर्ड एरिया वाली योजनायें व हॉस्पीटल भी औरेंज कैटेगरी में हैं। विज़न प्लान में ये सभी अनुमन्य होने चाहिए। मात्र कोल व कोक से चलने वाली वायु प्रदूषणकारी इकाईयों पर ही रोक होनी चाहिए। यही नहीं, नगर निगम सीमा से वाइट व ग्रीन कैटेगरी को छोड़कर अन्य उद्योगों को हटाये जाने की बात भी गलत है क्योंकि अस्पताल व 5-सितारा होटल रैड कैटेगरी में आते हैं, जिन्हें हटाया जाना औचित्यपूर्ण नहीं है। हाईवे प्रोजैक्ट भी औरेंज कैटेगरी में आता है। यदि विज़न प्लान में सुधार नहीं हुआ तो इन सभी योजनाओं पर भविष्य में संकट उत्पन्न हो जायेगा।
वायुप्रदूषण को कम करने की दृष्टि से लघुकालीन अनेक उपाय भी प्रतिनिधिमण्डल द्वारा सुझाये गये, जिनमें टीटीजैड क्षेत्र में लकड़ी व कोयले के आयात पर पूरी तरह से रोक लगाया जाना, ताजमहल की 2 किमी की परिधि में हैवीड्यूटी फुव्वारे लगाया जाना, खाली जगहों पर घास लगाना, यमुना की ड्रैजिंग, पोईया घाट, मल का चबूतरा, बल्केश्वर, कैलाश आदि शवदाहगृहों को आधुनिक रूप से विकसित किया जाना, सघन वृक्षारोपण, रिंग रोड, कूड़ा प्रबंधन, रीयल टाइम एयर मॉनिटरिंग व टीटीजैड अथॉरिटी को मजबूत बनाये जाने की बात रखी गई।
एफमैक के अध्यक्ष पूरन डावर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि होटल पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित होते हैं, अतः उन पर रैड कैटेगरी के कारण रोक लगाया जाना न्यायसंगत नहीं है। इंजीनियर उमेश शर्मा ने कहा कि उद्योगों के नये वर्गीकरणों के पूर्व केवल रैड कैटेगरी के कुछ उद्योगों पर ही रोक थी और अब रैड कैटेगरी के सभी उद्योगों पर रोक लगाया जाना उचित नहीं है।
प्रतिनिधिमण्डल में लघु उद्योग भारती के प्रदेशाध्यक्ष राकेश गर्ग, एफमैक के अध्यक्ष पूरन डावर, टूरिस्ट वैल्फेयर चैम्बर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल, इंजीनियर उमेश चन्द शर्मा, इण्डियन इन्डस्ट्रीज एसोसिएशन के डिवीजनल चेयरमैन अमर मित्तल, मनीष अग्रवाल और हेमन्त जैन उपस्थित रहे।