आगरा रेल मंडल में भी अब बड़े स्तर पर घोटालों का खुलासा होने लगा है। पिछले दिनों अधिकारियों के लिए लगाई जाने वाली गाड़ियों का घोटाला सामने आया था तो रेलवे में अब गिट्टियों का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है।इस घोटाले ने आगरा रेल मंडल की साख पर बट्टा लगा दिया है। इस घोटाले के खुलासे ने रेलवे अधिकारियों के होश उड़ा दिए है। यह घोटाला करीब 36 करोड़ के टेंडर से जुड़ा हुआ है। अब तक गिट्टियों से भरी 200 ट्रेनों में मिट्टियों के मिलावट के खेल का पर्दाफाश हुआ है।
विजिलेंस टीम ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर जाल बिछाया और एक आखिरी ट्रैन को पकड़ लिया। इस ट्रेन को विजिलेंस ने गिट्टियों से मिट्टी को छनवाया तो उनके भी होश उड़ गए। विजिलैंस ने उस ट्रैन को यार्ड में खड़ा कर दिया है। अफसर अब इसे दबाने में लगे हुए है।
200 ट्रेन गिट्टियों की सप्लाई के लिए करीब 36 करोड़ रुपए का पिछले दिनों टेंडर हुआ था। इनको मथुरा जंक्शन स्टेशन से भेजा जाना था। करीब 50, 50 बोगियों की 199 ट्रेन भरकर गिट्टियां मथुरा से ऊंटबाड़ा राजस्थान को सप्लाई होने थी। इनमें भारी मात्रा में मिट्टी की मिलावट की गई थी। शिकायत पर इलाहाबाद से आई विजिलेंस ने 12 अगस्त को अंतिम दिन में छापा मारकर इसका खुलासा किया। टीम के मुख्य सतर्कता निरीक्षक राजीव मिश्रा और अवधेश कुमार सिंह ने गिट्टियों ले जाने वाली 50 बोगियों की ट्रेन को यार्ड में ले जाकर खड़ा कर दिया। 3 दिन उसकी जांच पड़ताल और नापतोल की गयी। इसकी 41 बोगियों में बड़ी छुट्टियों में 50% से ज्यादा मिट्टी की मिलावट मिली। विजिलेंस के रेड सिग्नल के बाद ट्रैन को यार्ड में खाली कराकर गिट्टियां को छनबाने की संस्तुति हुई। इस बड़े खुलासे के बाद कोई भी रेल अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। ट्रैन से उतारी गई गिट्टियां 1 महीने के बाद भी पूरी नही छन पाई है।
अधिकारियों को डर है कि इसमें गिट्टियों में मिट्टी की मिलावट का खेल सबके सामने आ जाएगा। विजिलेंस के छापे को लेकर आगरा रेल मंडल के डीसीएम और पीआरओ संचित त्यागी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विजिलेंस को इस जांच में बड़ी सफलता हाथ लगी है। इसमें शामिल दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अभी अधिकारियों के स्तर पर इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है।