नई दिल्ली। प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को उम्र कैद की सज़ा। 10 लाख का जुर्माना भी। एनआईए कोर्ट ने दिया फैसला। फैसले के बाद कश्मीर में हुई पत्थरबाजी।
बुधवार देर शाम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। यूएपीए के तहत यासीन मलिक को दोषी करार दिया गया है। एनआईए ने उनके लिए फांसी की सजा की मांग की थी। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
यासीन मलिक (Yasin Malik) को उम्र कैद की सज़ा सुनाए जाने के बाद श्रीनगर शहर के मैसूमा इलाके में JKLF अध्यक्ष यासीन मलिक के समर्थकों एवं सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुईं। अधिकारियों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने मैसूमा चौक की तरफ बढ़ने का प्रयास किया और सुरक्षा बलों के साथ उनकी झड़प हो गई। कुछ प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके। बाद में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसूगैस के गोले छोड़े।
प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को बुधवार सुबह दिल्ली की एनआईए कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट ने पिछले गुरुवार 19 मई को उसे टेरर फंडिंग ममाले में दोषी ठहराया था। एक मीडिया वेबसाइट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने स्वीकार किया था कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था।
दोषी करार दिया
एक मीडिया वेबसाइट के मुताबिक, कोर्ट ने माना कि आजादी के नाम पर उसने जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाया। इसके लिए दुनिया भर में एक नेटवर्क स्थापित कर लिया था। एनआईए ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 30 मई 2017 को केस दर्ज किया था। 18 जनवरी 2018 को एक दर्जन लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी।