केंद्र सरकार ने आईटी एक्ट की धारा 66 ए ( IT act section 66 A) के तहत दर्ज होने वाले सभी केस तुरंत वापस लिए जाने का आदेश दिया है। सेंट्रल गवर्नमेंट ने सभी राज्य की सरकारों और पुलिस चीफ से कहा है कि इस धारा के तहत केस वापस लेने के साथ-साथ आगे इसके तहत एफआईआर दर्ज ना की जाए।
बता दें केंद्र ने इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जताई गई आपत्ति का भी जिक्र किया है। इस दौरान केंद्र ने राज्यों के मुख्य सचिवों और डीजीपी को नोटिस भेजकर कहा है कि अभी भी कुछ पुलिस अधिकारी इस धारा के तहत केस दर्ज कर रहे हैं जबकि आईटी एक्ट की यह धारा सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही खत्म कर दी है।पुलिस स्टेशनों को यह निर्देश दिए गए हैं कि अब इस धारा के तहत केस दर्ज ना किया जाए। साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर दर्ज किए गए हैं तो उसे वापस लिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा कही गई बात सुन कर कहा कि जो भी चल रहा है, भयानक है। दरअसल एनजीओ पीपुल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट से कहा था कि आप ने 2015 में आईटी एक्ट की धारा 66 ए को समाप्त कर दिया था लेकिन वाबजूद इसके पुलिस द्वारा 7 साल में तकरीबन एक हजार से ज्यादा मामले इसी धारा में दर्ज किए गए हैं।
जब पीयूसीएल से यह जानकारी मिली तो जस्टिस आर नरीमन, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने यह जानकर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि वे नोटिस जारी करेंगे। साथ ही कहा कि यह गजब है जो भी चल रहा है वो भयानक है।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च सन् 2015 में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें आईटी एक्ट की धारा 66 ए को खत्म कर दिया गया था। साथ ही कोर्ट ने इस धारा पर टिप्पणी भी की थी कि यह कानून धुंधला असंवैधानिक और बोलने की आजादी के अधिकार का उल्लंघन करता है। बता दें इस धारा के तहत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आक्रामक या अपमानजनक कंटेंट पोस्ट करने पर पुलिस को यूजर को अरेस्ट करने का अधिकार था।