घर के बुजुर्गों को परिवार की नींव कहा जाता है। वह घर पर हैं तो परिवार में संस्कार बने रहते हैं। बुजुर्गों का स्नेह और प्यार अनमोल है। हर साल 21 अगस्त को विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस (Senior Citizen’s Day) के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है। यह वह दिन है जब पूरी दुनिया बुजुर्गों के सम्मान में एक साथ खड़ी होती है। इस साल हम 33वां वर्ल्ड सीनियर सिटिजंस डे सेलिब्रेट कर रहे हैं लेकिन आज भी बुजुर्गों के लिए इन दिन के कुछ भी मायने नहीं है। क्योंकि अधिकतर बुजुर्ग आज भी अपना सम्मान बनाए रखने के लिए नौकरी और रोजगार करने को मजबूर है। मून ब्रेकिंग की टीम ने वर्ल्ड सीनियर सिटीजन डे पर कुछ बुजुर्गों से वार्ता की तो उनकी टीस भी सामने आई।
छीपीटोला के रहने वाले जयनारायण से अचानक से सड़क पर चलते चलते मुलाकात हो गई। वह सीनियर सिटीजन दिखे उन्हें रोककर सीनियर सिटीजन दिवस पर कुछ सवाल जवाब भी कर लिए। उनसे पूछा उनकी उम्र पूछी, उन्होंने कहा 70 साल। पूछा – कहां जा रहे हैं तो उन्होंने कहा परिवार का भरण-पोषण करना है इसलिए नौकरी पर जा रहा हूं। जय नारायण 70 साल की उम्र में भी नौकरी कर रहे हैं। उनसे पूछा परिवार में कौन-कौन है तो कहा कि बेटा – बेटी है, पत्नी है लेकिन सम्मान नहीं है और उस सम्मान की खातिर ही वह आज इस उम्र में नौकरी करने को मजबूर हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को भी एक उम्र के बाद सीनियर सिटीजन को सुविधाएं देनी चाहिए। सरकार योजनाएं तो चला देती है लेकिन उन योजनाओं का लाभ कितने बुजुर्गों को मिल पाता है इसका सर्वे सरकार कभी नहीं कराती। उन्होंने बताया कि वह भी एक संपन्न परिवार के थे। अच्छा खासा रोजगार था लेकिन एक घटना ने उनका जीवन पूरी तरह से बदल दिया। आज वह है दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। वह भी सम्मान के लिए और इस सम्मान को बचाने के लिए नौकरी करने को मजबूर हैं।
सड़क किनारे फुटपाथ पर बैठे एक बुजुर्ग को देखा तो गाड़ी अचानक से ही रुक गई। सीनियर सिटीजन दिवस था तो उनसे भी एक पत्रकार होने के नाते कुछ सवाल जवाब कर लिए। बुजुर्ग ने बताया कि उनका नाम प्रेम सिंह है और उनकी उम्र 65 से 70 के बीच है। अपने परिवार के भरण-पोषण के रिक्शा चलाते हैं। वह रिक्शा चलाते हैं इसलिए उनका परिवार और मोहल्ले के लोग नीची निगाह से देखते हैं। इसलिए वह अक्सर घर न जाकर फुटपाथ पर ही सो जाते हैं। उनसे पूछा कि आज कौन सा दिवस है, क्या वह जानते हैं। उन्होंने कहा कि उनके लिए सारे दिन एक से हैं। उन्हें सिर्फ इतना मालूम है कि आज बिना रुके मेहनत करनी है और परिवार के लिए दो पैसे जुटाने हैं, चाहे वह बीमार ही क्यों न हो।
विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा से भी वार्ता हुई। उन्होंने बताया कि बुजुर्ग के लिए आज सम्मान नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। वर्तमान परिस्थितियां तो बुजुर्गों के अनुकूल ही नहीं है। देखने को मिला है कि परिवार के बेटा बहू ही अपने बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम छोड़ रहे हैं तो कुछ बुजुर्ग सम्मान पाने के लिए आज भी नौकरी करते हुए नजर आ रहे हैं।
वह मजदूर क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो देखते हैं कि आज एक बुजुर्ग भी मजदूरी करने को मजबूर है। उन्होंने भी सरकार से कई बार मांग उठाई है कि जो मजदूर 60 साल से ज्यादा उम्र के हो चुके हैं उनके लिए कुछ अलग सी योजनाएं चलाएं ताकि उनसे उन का भरण पोषण हो सके लेकिन इस तरह की योजनाओं पर सरकार भी गंभीर नहीं है। इसीलिए आज एक मजदूर जो 60 साल से ऊपर की आयु पार कर चुका है वह भी मजदूरी करने को मजबूर है।