Agra. पूरे विश्व भर में पक्षियों की लुप्त होती प्रजातियों और प्रवासी पक्षियों में आई कमी को ध्यान में रखते हुए मई माह के दूसरे शनिवार क़ो विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया जाता है।जिस तरह से पूरे विश्व में प्रवासी पक्षियों की प्रजाति लुप्त हो रही है उससे सभी चिंतित है। विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य संकटग्रस्त प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण करना और उसके प्रति लोगों को जागरूक बनाना है।
2006 से विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मानने की हुई शुरुआत-
सर्व प्रथम वर्ष 2006 में मई के दूसरे शनिवार क़ो विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मानने की शुरुआत हुई। इस आयोजन दो संयुक्त राष्ट्र संधियों प्रवासी प्रजाति (Convention on Migratory Species-CMS) और अफ्रीकी-यूरेशियन माइग्रेटरी वॉटरबर्ड एग्रीमेंट (AEWA) और कोलोराडो आधारित गैर-लाभकारी संगठन, एनवायरनमेंट फॉर अमेरिका (EFTA) के द्वारा मिलकर किया जाता है। यह दिन प्रवासी पक्षियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उन्हें संरक्षित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता के लिए समर्पित एक वैश्विक अभियान है।
प्रवासी पक्षी से होता है पर्यावरण को लाभ-
दुनिया में घटती पक्षियों की संख्या का होना पर्यावरण के लिए नुकसान देय होता है। जीवन के विविध रूपों में पक्षी जैसे अपने रंग रूप आकर आवाज के कारण सबसे अधिक आकर्षक/मोहित करने वाला रूप होता है। विभिन्न प्रवासी पक्षी प्रवास के लिए सैकड़ों मील की दूरी तक यात्रा करते हैं और जलस्रोत के किनारे दो से तीन महीने के लिए अपना डेरा डालने के बाद लौट जाते हैं। ख़ास बात यह है कि जिस रास्ते से आते हैं उसी से लौट जाते हैं। यह जलवायु के अनुसार साल में एक बार मई दूसरी बार अक्टूबर में आते है। जहाँ इनके लिए भोजन प्रजनन हेतु आवास उनकी शारीरिक संरचना के अनुकूल वातावरण रहता है।
आगरा प्रवासी पक्षियों के लिए अनकूल-
आगरा मंडल में या यू कहें आगरा के पर्यटन के क्षेत्र जैसे कीठम, पटना पंछी बिहार, भरतपुर बर्ड सेंचुरी इनके प्रवास स्थल हैं। दूसरे देश से आने वाले पक्षियों को जब वहां अनुकूल मौसम नहीं मिलता है, तो वह दूसरे देश का रुख करते हैं। जहां सर्दी ज्यादा पड़ती है, तो प्रवास पर निकलते हैं और जहां गर्मी ज्यादा पड़ती है तो ठंडे इलाकों की तरफ प्रवास करने निकलते हैं। तिब्बत, मंगोलिया, चीन, आस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी पक्षी प्रवास पर निकलते हैं। एक झुंड में यह चलते हैं और 20 से 25 दिन तक कुछ समय कहीं ठहरने के पश्चात मूवमेंट कर सकते हैं।
क्या कहते है पर्यावरण विशेषज्ञ-
इस दिवस के दौरान देश भर कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। इन कार्यक्रमों के माध्यमों से सरकार को लोकल लोगों को पक्षियों के प्रति जागरूकता फैलाना है। हमें रोटी कपड़ा और मकान की ज़रूरत होती है। इसी तरह सब तरह के एनिमल्स को होती है। अतः सरकार को बर्ड्ज़ के खाने व रहने की सुरक्षा के लिए बजट के साथ अच्छे wildlife स्टाफ़ होना चाहिए।
आगरा प्रवासी पक्षियों से बढ़ाए पर्यटन-
लोक स्वर संस्था के राजीव गुप्ता का कहना है कि सरकार को इसको लेकर जागरूकता अभियान को बढ़ाना चाहिए जिससें लोग प्रवासी पक्षियों के प्रति जागरूक हो और विलुप्त हो रही पक्षियों की प्रजाति को बचाया जा सके। लोग ऐसे पक्षियों का शिकार न करें। आगरा में प्रवासी पक्षियों के लिए अनकूल परिस्थिति बनी रहे ताकि पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के साथ पर्यटन को भी बढ़ाया जा सके।
भारत में यहां देखे जाते हैं प्रवासी पक्षी
साइबेरियन क्रेन – भरतपुर केवलादेड़
अमूर फाल्कन – सर्दियों के मौसम में नगालैंड में डॉयंग झील
डिनोइसेली क्रेन – राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके
ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट – गुजरात, बसई, पुणे
रोजी स्टार्लिंग – कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश
महान सफेद पेलिकन – असम, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात
ब्लूथ्रोट – राजस्थान में भरतपुर का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
ग्रेटर फ्लेमिंगो – नाल सरोवर पक्षी अभयारण्य, खेजडिया पक्षी अभयारण्य,
भारत में प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए सबसे अच्छी जगह
1 भरतपुर पक्षी अभयारण्य राजस्थान में पैंटेड स्टॉर्क, वॉटरफ्लो, पेलिआर्कटिक माइग्रटोरी पक्षी देखने को मिलते है।
2 चिलिका झील में ओडिशा में गेडवॉल, नॉर्थन पिंटेल, Northern Pintail, यूरेशियन बिल प्रजाति के पक्षी
3 कुमारकोम पक्षी अभयारण्य में केरल साइबेरियन क्रेन, इंडियन पीफ्लो, सफेद बगुला के पक्षी
4 कच्छ का छोटा रण गुजरात में फ्लेमिंगो, द ग्रेट बूस्टर्ड डीयर, पेलिकंस प्रजाति के पक्षी
5 ईगलनेस्ट वन्यजीव अभयारण्य अरुणाचल प्रदेश में बुगुन लियोसीचला, वार्ड्स ट्रोगॉन, रेड हेडेड ट्रोगोन प्रजाति के पक्षी
6 नालसरोवर पक्षी अभयारण्य गुजरात में रोजी पेलिकन, फ्लेमिंगो, ह्वॉइट स्टॉर्क प्रजाति के पक्षी