आगरा। लोकसभा चुनाव सिर पर हैं लेकिन मोदी सरकार की मुश्किलें कम होती हुई नजर नहीं आ रही है। पहले किसान और आम व्यक्ति के साथ-साथ व्यापारी वर्ग मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद नजर आया था तो अब श्रमिक संगठन और मजदूर मोदी सरकार के विरोध में खड़े हो गए हैं। श्रमिक संगठनों के ऐलान के बाद से अब मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। मोदी सरकार की ओर से राज्यों में बने श्रमिक कल्याण बोर्ड को खत्म कर राष्ट्रीय स्तर पर एक ही बोर्ड का गठन किया जा रहा है जिसको लेकर श्रमिक संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। मोदी सरकार की इस कार्यगुजारी के विरोध में राष्ट्रीय अभियान समिति के सदस्य जेपी त्रिवेदी और उत्तर प्रदेश ग्रामीण श्रमिक संगठन के अध्यक्ष तुला राम शर्मा की ओर से एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।
प्रेस वार्ता के माध्यम से राष्ट्रीय अभियान समिति के सदस्य जीपी त्रिवेदी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए उन्हें श्रमिक विरोधी बताया तो हाल ही में श्रमिकों के लिए मोदी सरकार की ओर से जिन योजनाओं की घोषणा की उन्हें भी सबसे बड़ा धोखा बताया। उनका कहना था कि अंतरिम बजट में मजदूरो के लिए घोषणाएं करके मोदी सरकार श्रमिकों का वोट खरीदना चाहती है तो वहीं उनके कल्याण के लिए सरकार की ओर से बनाए गए बोर्ड को खत्म कर श्रमिको को ही खत्म करने की योजना बना रही है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश ग्रामीण श्रमिक संगठन के अध्यक्ष तुला राम शर्मा का कहना था कि मोदी सरकार के इस कदम ने श्रमिकों की नींद उड़ा दी है। राष्ट्रीय स्तर पर एक ही बोर्ड के गठन होने से राज्य सरकार के पास बने श्रमिक बोर्ड का कोई महत्व नहीं रह जाएगा जबकि अलग अलग राज्य अपनी सुविधा अनुसार श्रमिक बोर्ड के माध्यम से ही श्रमिकों के कल्याण के लिए तमाम योजनाएं बनाई जाती हैं और सेस के रूप में राजस्व और बजट का भी प्रावधान होता है जो फिर नहीं होगा।
तुलाराम शर्मा ने बताया कि मोदी सरकार के इस आदेश के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है इन हस्ताक्षरों की प्रतियां राजसभा समिति को सौंपी जाएगी। अगर सरकार ने राज्यो के श्रमिक बोर्ड को खत्म किया गया तो उग्र आंदोलन होगा।