मथुरा। वाइल्डलाइफ एसओएस और वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) ने आगरा स्थित भालू संरक्षण केंद्र एवं मथुरा स्थित हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में मध्य प्रदेश के 25 सेवारत पशु चिकित्सा अधिकारियों के लिए वन्यजीव और स्वास्थ्य प्रबंधन पर एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया।
वाइल्डलाइफ एसओएस और वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (डब्ल्यूआईआई), देहरादून ने एक सहयोगी पहल में पशु पालन विभाग, मध्य प्रदेश के 25 पशु चिकित्सा अधिकारियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। क्षेत्र के पशु चिकित्सा अधिकारियों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के उद्देश्य से, उन्हें विभिन्न वन्यजीव स्वास्थ्य मुद्दों, स्वास्थ्य निगरानी प्रक्रियाओं एवं देखभाल और संकट में जानवरों के प्रबंधन से परिचित कराया गया।
कार्यशाला में दो विषयों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया- ‘बचाए गए जंगली जानवरों के प्रबंधन में पशु चिकित्सा की ज़रुरत एवं भालूओं में स्वास्थ्य परीक्षण और तकनीकों का क्षेत्र प्रदर्शन’ और ‘हाथीयों के प्रबंधन के लिए विशेष संदर्भ के साथ पशु कल्याण की अवधारणा और केंद्र में रह रहे हाथियों के लिए सकारात्मक रूप से प्रशिक्षण दे कर चिकित्सा प्रक्रियों को पूर्ण करना’।
एक संक्षिप्त मौखिक सत्र के बाद, जिसमें स्लॉथ भालूओं की शारीरिक विशेषताओं और व्यवहारिक प्रकृति पर प्रकाश डाला गया, टीम को आगरा भालू संरक्षण केंद्र का दौरा दिया गया। उन्होंने एक्स-रे और अल्ट्रासोनोग्राफी सहित एक भालू की सामान्य स्वास्थ्य जांच करने वाले संस्था के पशु चिकित्सकों के साथ फ़ील्ड डेमोंसट्रेशन में भी भाग लिया।
पशु चिकित्सा अधिकारियों ने भारत के पहले और एकमात्र हाथी अस्पताल का भी दौरा किया, जिसे वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा 2018 में स्थापित किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य संकटग्रस्त हाथियों को सुरक्षा और देखभाल प्रदान करना है। कार्यशाला का समापन मथुरा में हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में वैज्ञानिक और मानवीय हाथी प्रबंधन तकनीकों जैसे पॉजिटिव कंडीशनिंग और टारगेट ट्रेनिंग के प्रदर्शन के साथ हुआ।
डॉ. पराग निगम, साइंटिस्ट-एफ और कोर्स कोऑर्डिनेटर, डब्ल्यूआईआई ने कहा, “पशु चिकित्सकों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला इन सेवारत पशु चिकित्सा अधिकारियों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगी। वाइल्डलाइफ एसओएस संरक्षण केंद्रों के इन दौरों का उद्देश्य इन पशु चिकित्सकों को बेहतर तकनीकी विशेषज्ञता हासिल करना और विभिन्न वन्यजीव स्वास्थ्य मुद्दों और उनके प्रबंधन की समझ हासिल करना है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण, ने कहा, “ऐसी कार्यशालाएं वन्यजीव प्रबंधन और तकनीकी विशेषज्ञता को बेहतर बनाने में काफी हद तक योगदान दे सकती हैं। वाइल्डलाइफ एसओएस अपनी देखभाल में जानवरों के उपचार और प्रबंधन के लिए सकारात्मक रूप से उपयोगी तकनीकों को प्रोत्साहित करता है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी, ने कहा, “हम वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) द्वारा प्रशिक्षण के लिए लाये गए पशु चिकित्सकों के साथ अपने ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करके बेहद खुश हैं। पूर्व में आयोजित इन कार्यशालाओं से बहुत सारे पशु चिकित्सा अधिकारी लाभान्वित हुए हैं। ”
वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डॉ एस. इलियाराजा ने कहा, “पशु चिकित्सा अधिकारियों को हमारे केंद्रों में उपयोग की जाने वाली आधुनिक तकनीकों से अवगत कराया गया। हमें उम्मीद है कि वाइल्डलाइफ एसओएस संरक्षण केंद्रों में ऐसी कार्यशालाएं भारत में वन्यजीव संरक्षण में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेगी।”