आगरा। दलित समाज के भारत बंद के बाद सवर्ण और ओबीसी समाज की ओर से आरक्षण के विरोध में भारत बंद ने देश की राजनीति को ही बदल कर रख दिया है। मंगलवार को सवर्ण और ओबीसी समाज के आरक्षण विरोध में बुलाए भारत बंद का असर आगरा में देखने को मिला। हम भी इस बंद को लेकर आम व्यक्ति की नब्ज टटोलने के लिए सड़कों पर निकल पड़े।
सड़को पर सन्नाटा था और दहशत भरी ख़ामोशी थी। शहर का बाजार बंद था। व्यपारियों ने ऐतिहातन बरते हुए अपने प्रतिष्ठान बंद कर रखे थे। 2 अप्रैल के भारत बंद के दौरान सबसे ज्यादा शिकार व्यापारी हुआ था। दुकानों पर जमकर लूटपाट और तोड़फोड़ हुई थी। सवर्ण और ओबीसी समाज का आंदोलन सड़कों पर तो नहीं दिखाई दिया लेकिन इसके खौफ का सन्नाटा बाजार में जरूर देखने को मिला।
भारत बंद की कवरेज करते हुए हम भी भारत बंद का आवाहन करने वाले कुछ लोगों के पास पहुचे और उनसे वार्ता की। उनका कहना था कि सड़क और बाजार में सन्नाटा इस बात का प्रतीक है कि लोग शांति से इस बंद का समर्थन कर रहे हैं।
इन लोगों से वार्ता करने के बाद हम दुकानों के बाहर खड़े लोगों से मिले। व्यापारियों से भारत बंद पर प्रतिक्रियाएं जानी तो उनका दर्द सामने आया। उनका कहना था कि वो अपने अपने प्रतिष्ठान खोलना चाहते हैं लेकिन पहले भारत बंद आंदोलन में ही इतने जख्म मिले है कि दूसरे भारत बंद में यह सब झेलने की शक्ति नहीं है।
सन्नाटे वाली सड़कों पर वाहन जरूर दौड़ रहे थे लेकिन हर व्यक्ति जल्द से जल्द अपने गंतव्य तक पहुचना चाहता था। जल्दी में जा रहे एक सज्जन को रोकना चाहा तो भारत बंद है जल्दी पहुँचना है कहकर निकल गया। दूसरे सज्जन से बात कि तो बंद के नाम से ही उसके घाव हरे हो गए। उनका कहना था कि 2 अप्रैल भारत बंद के दौरान उन्होंने हर दर्जे की दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
हाँलाकि यह बंद हिंसक न बन जाये इसलिये भारी संख्या में पुलिस बल तैनात थी। वाहनों को रोककर पूछताछ की जा रही थी। इस पूछताछ से लोगों की हवाइयां भी उड़ रही थी कि पुलिस उन्हें हिरासत में न ले ले। क्योंकि 2 अप्रैल के भारत बंद के दौरान हिंसा में पकडे गए अब भी पुलिस की गिरफ़्त में हैं।
व्यापारियों और बंद का आव्हान करने वाले लोगों से वार्ता होने के बाद हमने आम लोगों से बात की। ऐसे ही कुछ लोगों से वार्ता हुई। उनका कहना था कि अब आम व्यक्ति बंद के नाम से ही डरने लगा है। जिसे देखो अपनी मांग पूरी कराने के लिए भारत बंद का नारा दे देता है। जिसमें कुछ असामाजिक तत्व हिंसा करते है और भुगतना बेकसूर को पड़ता है। बंद के नाम पर कुछ लोग सिर्फ अपनी रोटियां सेक़ रहे हैं। लोगों का कहना था कि जिस देश में सर्व समाज और सर्व धर्म के लोग रहते हो उस देश में कैसा भारत बंद और इसका सन्देश विश्व में क्या जायेगा।