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यमुना नदी की बहाली पर आगरा में होगी जल पंचायत, जलपुरुष राजेन्द्र सिंह होगे पंचायत चौधरी, उठेंगी जल समस्या

by pawan sharma

आगरा। गंगाजल पाइप लाइन प्रोजेक्ट के बावजूद आगरा महानगर पीने के पानी की समस्या से जूझ रहा है। गंगाजल पाइप लाइन प्रोजेक्ट के तहत आगरा को 150 क्यूसेक (जिसमें से 10 क्यूसेक मथुरा और वृंदावन का भाग) पानी की आपूर्ति होती है। जबकि महानगर को पेयजल आपूर्ति के लिये यमुना नदी के पानी का शोधन भी अनिवार्य है। जापान की ‘जायिका’ फंडिंग एजेंसी के द्वारा 355 करोड़ रु से पोषित गंगा जल पाइप लाइन प्रोजेक्ट में आगरा के लिये परिकल्पित प्रोजेक्ट मुल प्रोजेक्ट में ही गंगा जल के साथ ही यमुना नदी आधारित सिकंदरा और जीवनी मंडी जलकल इकाइयों का यथावत संचालन जारी रखना उल्लेखित है। जबकि गंगाजल प्रोजेक्ट शुरू होते ही 140 क्यूसेक गंगाजल प्रोजेक्ट पर ही पूरे महानगर की जलापूर्ति आधारित कर दी गयी।

आगरा महानगर की जलापूर्ति को 400 मिलियन लीटर पानी की रोज जरूरत होती है। जिसमें से जीवनी मंडी जलकल से 165 मिलियन लीटर पानी मिलता था, जबकि सिकंदरा जलकल से 285 मिलियन लीटर पानी की उपलब्धता होती थी। गंगा जल पाइप लाइन प्रोजेक्ट शुरू होने के 6 साल के भीतर ही महानगर की जलार्पूति के लिये यमुना जल शोधन व्यवस्था का उपयोग न्यून या प्रतीकात्मक कर दिया गया। फलस्वरूप पूरा महानगर गंगा जल पाइप लाइन से मिलने वाले पानी पर निर्भर होकर रह गया। जोकि नतो विश्वसनीय जलापूर्ति के ही उपयुक्त है और न हीं महानगर जलापूर्ति के ही उपयुक्त है।

सिविल सोसायटी महानगर की जलापूर्ति भरपूरता युक्त बनाये रखने के लिये जीवनी मंडी और सिकंदरा जलकल की यमुना जल शोधन यूनिटो को बंद कर दिये जाने पर चिंता जताती है, इस तथ्य को और अधिक गंभीरता से लेती है कि यमुना नदी का रॉ वाटर अब शोधन युक्त भी नहीं रहा।

चिंता का कारण
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का मानना है कि ओखला बैराज से डिसचार्ज किये जाने वाले यमुना जल को शोधन युक्त बनाने के लिये 150 क्यूसेक गंगाजल अपर गंगा कैनाल की मंठ ब्रांच से हरनाल एस्केप के माध्यम से छोडा जाता है। यह व्यवस्था एक न्यायिक आदेश के तहत है, जिसमें बिना न्यायालय के संज्ञान में लाये न तो बदला जा सकता है और नहीं बंद किया जा सकता है। लेकिन जो जानकारियां मिली हैं और स्थलीय निरीक्षण में सामने आया है कि गोकुल बैराज जो कि यमुना जल को संचित रखने तथा आगरा के लिये पानी का डिस्चार्ज रेग्युलेट करने के मुख्य उद्देश्य के लिये बनी है, से बैराज के डाउन स्ट्रीम में पानी छोड़े जाने का काम निर्धारित डिसचार्ज से कही कम केवल प्रतीकात्मक कर रखा गया है। फलस्वरूप आगरा में यमुना जल मात्र नाम मात्र की है और क्वालिटी में भी भारी गिरावट आयी है।

हरनाल एस्केप से मिलने वाले गंगा जल का इस्तेमाल मथुरा में यमुना नदी का लेविल ‘क्रूज’ मोटर चलित बडी नौका संचालन के लिये किया जा रहा है। इसके लिये ही आगरा के लिये छोडे जाने वाले पानी का गोकुल बैराज से डिस्चार्ज कम कर दिया गया है। सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा मथुरा में किये जा रहे इस कारनामें को यमुना नदी के जल प्रवाह को अनवरत रखने की नीति के विरुद्ध मानती है और उप्र के जलशक्ती मंत्रालय के प्रमुख सचिव वास्तु स्थिति स्पष्ट करने की अपेक्षा करती है।

जल पंचायत
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा यमुना नदी को लेकर मथुरा के असरदार राजनीतिज्ञों और शासन स्तर से आगरा के हितों के प्रतिकूल की जा रही इस मनमानी की जानकारी आगरा के गणमान्यों और आम जनता के संज्ञान में लाए जाने सहित पानी से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर जल पंचायत कर रही है। जल पुरुष राजेन्द्र सिंह इस पंचायत में ‘चौधरी’ के रूप में मौजूद रहेंगे। जल पंचायत के माध्यम से सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के द्वारा आगरा के पानी की समस्या के अलावा पर्यावरण से संबंधित अन्य अहम मुद्दों को भी उठायेगी। यह पानी पंचायत प्रकृति और मानवता के हितों के लिए कार्य करने वाली पंचायत है।

राजेन्द्र सिंह के आगरा भ्रमण कार्यक्रम को सिटी जन कनेक्ट बनाने के लिये शीरोज हैंग आउट फतेहाबाद रोड टूरिस्ट कांप्लेक्स में अनिल शर्मा की अध्यक्षता में मीटिंग हुई थी, जिसमें राजीव सक्सेना, विनय अम्बा, ब्रीग विनोद दत्ता, राजेश कुमार, इरम आत्मीय, राम भारत उपाध्याय, असलम सलीमी, कांति नेगी, शैलजा शर्मा, कार्तिके अनंत शर्मा आदि सहभागी थे। इस मीटिंग में जल संरक्षण और रूफटॉप वाटर हार्वेस्टिंग जैसे सामायिक मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा हुई।

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