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एसएन में तीमारदार को पीटते जूनियर डॉक्टर का वीडियो वायरल, दो दिन के लिए निलंबित

by admin

आगरा। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी के साथ वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कुछ लोग एक युवक को बुरी तरह से पीटते हुए और घसीटते हुए ले जा रहे हैं। युवक अपने आप को बचाने के लिए छटपटा रहा है और लोगों से गुहार भी लगा रहा है लेकिन ये लोग जमकर इस युवक की पिटाई कर रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होने से पुलिस व प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।

सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो रहा यह वीडियो एसएन मेडिकल कॉलेज का बताया जा रहा है। इस वीडियो में जिस युवक को पीटा जा रहा है वह एक तीमारदार है और पीटने वाले जूनियर डॉक्टर हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद एसएन मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से एक चिकित्सक को 2 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है और पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी का भी गठन कर दिया गया है।

बताया जाता है कि देवरी गांव निवासी पप्पू अपने डेढ़ साल के बेटे वैष्णव को इलाज के लिए इमरजेंसी लेकर आया था। बच्चे के कुले पर फोड़ा उठा हुआ था जिससे बच्चा परेशान था और उसे बुखार भी आ रहा था। सुबह उसने बच्चे को बाल रोग विभाग की ओपीडी में दिखाया और उसे तुरंत इमरजेंसी में भर्ती करा दिया गया। चिकित्सकों ने उसके पिता को 115 नंबर में फोड़े की ड्रेसिंग कराने भेजा। यहां बच्चे को लाने पर डॉक्टरों ने थोड़ी देर बाद आने के लिए कहा। इस तरह से वह 3 बार बच्चे को लेकर आया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई जिससे पीड़ित तीमारदार आक्रोशित हो उठा। जैसे ही उसने चिकित्सकों से कुछ कहा तो चिकित्सक भड़क गए और तीमारदार को पकड़कर जमकर पीटने लगे। उसे ऑपरेशन थिएटर में खींच कर ले जाने लगे। पीड़ित ईमानदार चीखने और बचाने की गुहार लगाने लगा। इस पर तीमारदार के परिजन भी आ गए। लोगों ने बमुश्किल चिकित्सकों से तीमारदार को बचाया।

झगड़े की सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और पूरे मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी। मामला एससन प्रशासन तक पहुंचा तो प्रशासन की ओर से जांच कमेटी गठित कर जांच के आदेश दे दिए और इस वीडियो में जो चिकित्सक तीमारदार को पीटता हुआ दिखाई दे रहा था उसे निलंबित कर दिया गया।

यह कोई पहला मामला नहीं है जब जूनियर डॉक्टरों ने किसी तीमारदार को पीटा हो। इससे पहले भी कई मामले ऐसे हुए हैं। आगरा में एसएसपी रहे अमित पाठक ने तो जूनियर डॉक्टर्स के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई भी की थी लेकिन इसके बावजूद भी जूनियर डॉक्टर्स के व्यवहार में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है।

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