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जोंस मिल प्रकरण को लेकर पीड़ित व्यापारियों ने लगाई जनप्रतिनिधियों से ये गुहार

by admin
Victims traders pleaded with public representatives for Jones Mill case

आगरा। जोंस मिल प्रकरण में जिला प्रशासन की ओर से व्यापारियों की कोई सुनवाई ना होने पर पीड़ित व्यापारियों ने जन प्रतिनिधियों का दरवाजा खटखटाया है। पीड़ित व्यापारियों ने जोंस मिल संघर्ष समिति के बैनर तले ‘जनता की गुहार जनप्रतिनिधियों के द्वार’ कार्यक्रम चलाया है। इस अभियान के बैनर तले बुधवार को सभी पीड़ित व्यापारियों ने महापौर नवीन जैन के महापौर कैंप कार्यालय के साथ राज्य मंत्री चौधरी उदय भान सिंह, सांसद प्रो एसपी सिंह बघेल, क्षेत्रीय विधायक योगेंद्र उपाध्याय और राम प्रताप सिंह चौहान से उनके निवास पर मुलाकात और ज्ञापन सौंपकर न्याय दिलाने की गुहार लगाई।

जोंस मिल संघर्ष समिति से जुड़े व्यापारियों और क्षेत्रीय निवासियों का कहना था कि जिला प्रशासन की जांच दिशाहीन और निराधार है। पूर्व जांचें और उच्च न्यायालय के आदेश ताक पर रखकर प्रशासन एक पक्षीय कार्यवाही कर रहा है। यह हजारों खाटू भक्तों की आस्था के केंद्र खाटू मंदिर के साथ-साथ 32 हजार गरीब-मजदूरों के आशियानों को उजाड़ने की साजिश है।

पीड़ित व्यापारियों ने बताया कि सभी ने नगर निगम के म्यूटेशन, बारह साला तथा उच्च न्यायालय के पूर्व आदेशों व डिक्की को देखने के बाद पूरे सरकारी स्टाम्प शुल्क आदि देकर यह बैनामे में कराए थे और उसके बाद दफ्तर व आवासीय मकानों का निर्माण कराया था लेकिन प्रशासन ने तानाशाही दिखाते हुए राज्य सरकार के नोटिफिकेशन 16 नवंबर 1949 के आधार पर सभी बैनामो को शून्य मान रहा है जबकि यह जमीन जोंस परिवार गंभीरमल पांड्या, हीरालाल पाटनी, व मुन्नीलाल मेहरा की है, इससे सरकार का कोई लेना देना नहीं है।

व्यापारियों और आवासीय मकान के स्वामियों का कहना है कि आज लगभग 3 दशकों बाद अचानक से उन्हें अपनी भूमि से बेदखल किया जा रहा है और इस मामले में जिला प्रशासन पीड़ित व्यापारियों की कोई बात ना सुनकर अपनी एक पक्षीय कार्रवाई कर रहा है जिससे पीड़ित परिवारों और व्यापारियों में काफी रोष व्याप्त है।

महापौर नवीन जैन ने सभी व्यापारियों की बात को गंभीरता से सुना और इस मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया। उनका कहना था कि जब सभी कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद ही जमीन को खरीदा गया और उस समय के तत्कालीन अधिकारियों ने इस पर मुहर भी लगाई तो इन बैनामो को कैसे शून्य किया जा सकता है। अगर प्रशासन ऐसा कर रहा है तो वो अपने ही अधिकारियों पर उंगली उठा रहा है। इस तरह से तो तत्कालीन अधिकारी जिन्होंने जमीन खरीदने व बेचने की अनुमति दी और राजस्व के रूप में स्टाम्प शुल्क लिया, सभी दोषी हो गए तो कार्यवाही सिर्फ व्यापारियों पर ही क्यों। महापौर ने सभी को आश्वस्त किया कि उनके साथ अन्याय नही होने दिया जाएगा।

सांसद एसपी सिंह बघेल ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के समक्ष और लोकसभा में उठाने का आश्वासन दिया और कहा कि प्रशासन की जांच में चूक हुई है।

विधायक रामप्रताप चौहान ने भी पूर्ण सहयोग का वादा करते हुए विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने की बात कही। उन्होंने प्रशासन से सवाल किया कि इससे पूर्व की जांच क्यों नहीं मानी जा रही हैं।

विधायक योगेंद्र उपाध्याय ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आर्डर का हवाला देकर कहा कि इसमें क्रेता-विक्रेता का कोई दोष नहीं है। उन्होंने भूमि खरीदने और बेचने के लिए आवश्यक प्रपत्र दिए हैं और जरूरी कार्रवाई पूरी की है। 40 साल से प्रशासन पूर्ण फीस लेकर बैनामा कर रहा है। फिर उन्हीं बैनामों को अब किस आधार पर शून्य घोषित किया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन द्वारा व्यापारियों को नोटिस देने और जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने पर आपत्ति जताई।

राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने कहा कि शीघ्र ही जोंस मिल संघर्ष समिति और प्रशासन के साथ माथुर वैश्य सभागार में एक बैठक कर इस समस्या का हल किया जाएगा। उन्होंने व्यापारियों को यह भी जानकारी दी कि आज कलेक्ट्रेट में मुख्यमंत्री के साथ ऑनलाइन हुई बैठक के बाद अधिकारियों को विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, राज्यमंत्री जी एस धर्मेश और उन्होंने मिलकर व्यापारियों के साथ न्याय करने की मांग की है।

ज्ञापन देने वालों में संरक्षक बृजमोहन अग्रवाल, दयानंद नागरानी, मोहम्मद आरिफ, पंकज बंसल, हर्ष गुप्ता, ध्रुव वशिष्ठ, अतुल बंसल, अरुण गुप्ता, मनोज अग्रवाल, आनंद मंगल, विशाल बंसल, राजू राठौर और रविंद्र गोयल प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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