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वरद वल्लभा महागणपति ने दिए स्वर्ण आभा में दर्शन, कुम्भाभिषेक और हवन से गणेश उत्सव का शुभारंभ

by pawan sharma
  • दस दिनों तक चलेगा वरद वल्लभा महागणपति मंदिर में महोत्सव, धारण कराया गया स्वर्ण श्रंगार
  • प्रतिदिन होंगी पांच विशेष आरतियां, गणेश चतुर्थी पर पूरे दिन दिए आराध्य ने दर्शन
  • 11 विशेष द्रव्यों से हुआ कुम्भाभिषेक, लगा 108 मोदकों का भाेग

आगरा। वरद वल्लभा महागणपति अर्थात जिनके एक हस्त में वेद हैं और दूसरे हस्त से वो आशीर्वाद प्रदान करते हैं। शास्त्रों में वेदों का अर्थ ज्ञान से हैं और ज्ञान की साक्षात प्रतिमा के रूप में विराजित श्रीवरद वल्लभा महागणपति ने अपने प्राकट्य उत्सव पर स्वर्णिम आभा से सज्जित हो दर्शन दिए।

आगरा− फिरोजाबाद रोड स्थित श्रीवरद वल्लभा महागणपति मंदिर में शनिवार को तृतीय गणेश चतुर्थी महोत्सव का शुभारंभ हुआ। दस दिवसीय आयोजन की शुरुआत वरद वल्लभा महागणपति की प्रतिमा के महाकुम्भाभिषेक के साथ हुयी। जिसके अन्तर्गत हल्दी, चंदन, कुमकुम, कदम्ब पुड़ी, भस्मी, नारियल का जल, गन्ने और मौसमी का रस, घी, शहद, शक्कर सहित 11 विशेष वस्तुओं से महाभिषेक किया गया। मंदिर संस्थापक हरिमोहन गर्ग(एनआरएल ग्रुप) और साधना गर्ग ने प्रथम दिन के यजमान के रूप में प्रातः हवन किया। हरिमोहन गर्ग ने बताया कि मंदिर में पूजन पद्धति पूर्ण रूप से कांचीपुरम तमिलनाडु से प्रशिक्षित पंडितों द्वारा की जाती है। स्वर्ण और रत्न जड़ित मुकुट और दंत के साथ सेलम कोयम्बटूर में विशेष रूप से तैयार सिल्क की धोती से श्रीवरद वल्लभा महागणपति का श्रंगार किया गया था। श्याम रंग की प्रतिमा के मस्तक पर रत्न जड़ित चांदी के बने ओम के तिलक से अलौकिकता और भव्यता झलक रही थी।

महोत्सव के प्रथम दिन फूलबंगला सेवा कुणाल जैन, श्रंगार एवं ध्वजा सेवा बबलू और नीरज अग्रवाल, संध्या हवन एवं पूरे दिन की प्रसादी सेवा सरिष श्रीवास्तव की ओर से रही।

प्रतिदिन होंगी ये पांच विशेष आरतियां
मंदिर के सेवायत पंडित लखन दीक्षित ने बताया कि गणेश चतुर्थी महोत्सव के दस दिनों तक प्रतिदिन नक्षत्र, मंजिल, पंच, कुम्भ एवं धूम्र आरती की जाएगी। आम दिनों में ये आरतियां चतुर्थी एवं बुधवार को ही होती हैं।

एक स्थान पर विराजित हैं तीन प्रतिमाएं
मंदिर गर्भगृह में गणपति जी की तीन प्रतिमाएं प्रतिष्ठित मूर्ति, उत्सव मूर्ति एवं नित्य सेवा मूर्ति पधारी गयी हैं। चतुर्थी पर प्रतिष्ठित मूर्ति का कुम्भाभिषेक किया गया। बाकि अन्य दिनों में प्रतिदिन नित्य सेवा मूर्ति का दूध− दही से अभिषेक किया जाएगा।

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