उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोरोनावायरस के मद्देनजर लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से एक नया फैसला लिया है। आपको बता दें कि योगी सरकार ने एस्मा लागू (ESMA) करने का बड़ा फैसला लिया है जिससे सरकारी कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन पर पूर्णता अंकुश लग गया है। एस्मा एक्ट के तहत अति आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारी 6 महीने तक किसी भी तरह की हड़ताल नहीं कर सकेंगे। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्रों या अन्य माध्यमों से सूचित भी कर दिया जाता है।
एस्मा एक्ट क्या है
एस्मा एक्ट आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के नाम से जाना जाता है। एस्मा ऐसा कानून है, जिसके लागू होने पर कोई भी कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकता है। यदि सरकारी कर्मचारी को हड़ताल करने की जरूरत पड़ती है तो उसे प्रशासन से परमिशन लेनी होती है। बावजूद इसके अगर कोई सरकारी कर्मी बिना इजाजत के हड़ताल करता है तो उसके खिलाफ सरकार द्वारा सख्त एक्शन लिया जा सकता है।
भारतीय संसद द्वारा एस्मा अधिनियम पारित किया गया था, जिसे 1968 में लागू किया गया था। संकटकाल में कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली हड़ताल को रोकने के लिए यह कानून बनाया गया था। किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार के द्वारा यह कानून अधिकतम छह महीने के लिए ही लगाया जा सकता है। एस्मा एक्ट के लागू होने का असर ये होगा कि अगले 6 महीने तक सरकारी कर्मचारी किसी भी तरह की हड़ताल नहीं कर सकेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसके लिए भी आदेश जारी कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि यूपी सरकार कोरोनावायरस के मद्देनजर लोगों को संकट से बचाने के लिए एक के बाद एक नए फैसले ले रही है। इसी क्रम में एस्मा लागू कर सरकार कोरोनावायरस वैक्सीन के वितरण की तैयारी कर रही है ताकि कोई काम में बाधा उत्पन्न ना कर सके। बता दें कि पूर्व में भी लॉकडाउन के समय एस्मा एक्ट उत्तर प्रदेश में लागू किया गया था जिसके तहत अति आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारी छुट्टी और हड़ताल पर नहीं जा सके थे।