आगरा। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए जीत की राह आसान नहीं है। पिछले चुनाव में सभी 9 सीटों पर काबिज होने वाली भाजपा का इस बार कई सीटों पर विपक्ष से कड़ा मुकाबला होने वाला है। इस बार चुनाव में सभी पार्टियां जहां पिछड़ों को लुभाने में लगी है तो वहीं भाजपा को छोड़कर अन्य सभी पार्टी मुस्लिम को भी अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रही हैं। आगरा में अगर देखा जाए तो बहुजन समाज पार्टी इस समय दलित-मुस्लिम की रणनीति पर ही काम कर रही है। इस दोनों समाज के वोटर्स की बाहुल्य संख्या दक्षिण विधानसभा सीट पर है। इसलिए कहा जा सकता है कि यदि इस बार बसपा का यह समीकरण सफल रहा तो जाहिर है यहां से भाजपा को कड़ी टक्कर मिलने जा रही है।
दक्षिण विधानसभा सीट से बसपा प्रत्याशी रवि भारद्वाज के जनसंपर्क को लेकर बात करें तो वे सर्व समाज का समर्थन मिलने का दावा कर ही रहे हैं वहीं मुस्लिम क्षेत्रों से भी उन्हें जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। वहीँ बसपा पार्टी के रणनीतिकार बस्तियों और मोहल्लों में जाकर दलित समाज के साथ छोटी-छोटी बैठक कर जनसमर्थन जुटा रहे हैं। बीते दिन रविवार को मंटोला में जनसंपर्क के दौरान मानो पूरा क्षेत्र प्रत्याशी रवि भारद्वाज के स्वागत को उमड़ पड़ा। सभी लोगों ने उन्हें हाथों हाथ लिया और फूल-मालाओं से लाद दिया।
वहीँ वर्तमान विधायक एवं भाजपा प्रत्याशी योगेंद्र उपाध्याय भी लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। इस सीट पर बाहुल्य संख्या में व्यापारी वर्ग भी है जो हमेशा से भाजपा के समर्थन में रहता है। इसका फायदा भी योगेंद्र उपाध्याय को मिलेगा लेकिन यहां से व्यापारी वर्ग से उतरे सपा प्रत्याशी विनय अग्रवाल उनके वोट काट सकते हैं। क्योंकि विनय अग्रवाल एक जाना पहचाना नाम है और व्यापारी वर्ग में अपनी पैठ रखते हैं। हालांकि योगेंद्र उपाध्याय की धर्मपत्नी भी उनका पूरा साथ दे रही हैं और महिला शक्ति को अपने साथ जोड़ने का पूरा प्रयास कर रहीं हैं।
वहीँ अगर कांग्रेस की बात करें तो इस चुनाव में आगरा की किसी भी सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी न उतारे जाने से खुद कांग्रेस के कई मुस्लिम नेता नाराज हैं और वह इसका विरोध भी जता चुके है। गौरतलब है कि मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस से जुड़ा रहा है लेकिन इस बार यह वर्ग कांग्रेस से छिटकता नज़र आ रहा है। जिसका फायदा सीधा बसपा को हो रहा है।
यानी कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस बार जहां भाजपा को अपने ही वर्ग का प्रत्याशी नुकसान पहुंचा रहा है तो वहीँ बसपा मुस्लिम समाज को खुश करने में सफल हो रहा है। एक ब्राह्मण प्रत्याशी होने के चलते बसपा प्रत्याशी को इसका अतिरिक्त लाभ मिलेगा तो वहीं बसपा दलित-मुस्लिम के समीकरण को भुनाने में लगी हुई है। ऐसे में इस बार चुनाव में दक्षिण विधानसभा सीट पर चौंकाने वाली स्थिति देखने को मिल सकती है।