Home » रावण दहन के विरोध में उतरा ये समाज, मरना ही है तो अपने अंदर के रावण को मारो

रावण दहन के विरोध में उतरा ये समाज, मरना ही है तो अपने अंदर के रावण को मारो

by pawan sharma

आगरा। दशानन्द रावण को बुराई का प्रतीक मानते हुए विजयादशमी के दिन रावण का दहन किया जाता है लेकिन एक समाज लगातार दशानंद रावण के दहन का काफी समय से विरोध करता हुआ आ रहा है। इस समाज का विरोध आज भी जारी है। विजयादशमी के दिन जब लोग रात के समय रावण के पुतले के दहन की तैयारी कर रहे थे तो उस समय सारस्वत ब्राह्मण समाज के लोग रामलाल वृद्ध आश्रम में पूजा अर्चना कर इसका विरोध भी कर रहे थे।

मदन मोहन शर्मा सारास्वत का कहना था कि रावण का पूजन कर उन लोगो को संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है जो दशानंद को सम्पूर्ण तरीके से नही जानते हैं। दूसरे नजरिये से देख रावण की भक्ति और शक्ति से सभी को सीख लेनी चाहिए। रावण जैसा प्रखंड विद्वान महान वैज्ञानिक संगीत कला में परिपूर्ण कोई नहीं था।

उमाकांत सारस्वत एडवोकेट और विनय कुमार शर्मा का कहना है कि पुतला दहन करने वालों के खिलाफ उचित कार्यवाही होनी चाहिये। सारस्वत समाज एकजुट होकर इसका विरोध करेगा। यदि आज के इस कलयुग में मारना ही है तो अपने भीतर के रावण को मारो। रावण पर पहला तीर वो चलाएं जो मर्यादा पुरुषोत्तम राम जैसा आचरण रखने वाले हों। विजयदशमी को शुभ संकल्प  दिवस के रूप में बनाना चाहिए

रंगनिर्देशक अलका सिंह का कहना है कि इस दिन को हमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, पर्यावरण बचाओ, यमुना स्वच्छता “शुभ संकल्प दिवस” के रूप में मनाया। आज दशहरे के अवसर पर भोले शंकर शिव जी का अभिषेक किया गया। तांडव स्रोत के 11 पाठ किए गए। हवन आरती की गई।

इस मौके पर मुख्य रूप से आयोजक अध्यक्ष मदन मोहन शर्मा, संयोजक उमाकान्त सारस्वत, पूजा, संयोजक शिवकुमार, विनय शर्मा, नरायन हरि सारस्वत, सूर्य प्रकाश सारस्वत, अभिषेक सारस्वत, अभिनन्दन सारस्वत, प्रवीन सारस्वत, जितेन्द्र सारस्वत, सोनू शर्मा, तुषार शर्मा, सचिन पाठक, राधेश्याम सारस्वत, सुषमा सारस्वत, दुर्गेश सारस्वत, अलका सिंह व प्रतीक तोमर आदि अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Comment