आगरा। संतों का जन्म समाज का कल्याण करने के लिए होता है। कलियुग में संतों की शरणागति और प्रभु श्री राम की कथा से भगवान की प्राप्ति संभव है। “बिन सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिन सुलभ न सोई”। कोठी मीना बाजार चित्रकूट धाम में श्री राम कथा के पहले दिन व्यास पीठ पर विराजमान श्री कामदगिरि पीठाधीश्वर श्रीमद् जगतगुरु राम नंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने श्री राम कथा के महत्व वर्णन करते हुए ये लाइनें भक्तों से कही।
व्यास पीठ से महाराज ने कहा कि कलियुग में श्री राम कथा सिर्फ भक्तों के जीवन के तरन तारन का माध्यम नहीं, बल्कि युवाओं में उत्साह और बालकों में संस्कार का माध्यम है। भक्तों को श्री रामचरितमानस का महत्व और कथा क्यों सुननी चाहिए उसके महात्म्य के विषय में बताया। उन्होंने कहा भक्तों को संतों की कथा सुनते रहना चाहिए सिर्फ सुनते ही नहीं बल्कि उसे जीवन में अपनाना भी चाहिए।
श्री राम कथा में उन्होंने स्वामी तुलसीदास के विषय में वर्णन करते हुए बताया कि स्वामी तुलसीदास जी को प्रभु श्री राम के दर्शन राम कथा के माध्यम से ही हुए थे। “कथा जो सकल लोक हितकारी, सोई पूछत चह शैल कुमारी।। उन्होंने बताया कि श्री राम कथा के सबसे बड़े श्रोता भगवान शंकर हैं जिन्होंने पार्वती जी को स्वयं श्री राम कथा की महिमा को विस्तार से बताया था।
आगरा पर है भगवान भोलेनाथ की बड़ी कृपा
श्री कामतानाथ सेवा समिति द्वारा आयोजित श्री राम कथा में कामदगिरि पीठाधीश्वर स्वामी श्री रामस्वरूपाचार्य ने भक्तों को बताया कि आगरा ऐसी नगरी है जिस पर भगवान शिव की बड़ी कृपा है। आगरा के चारों कोनों पर भगवान शिव स्वयं रक्षक के रूप में विराजमान है। उन्होंने कहा कथा स्थल चित्रकूट धाम कोठी मीना बाजार ऐसी पावन भूमि है जिस पर बड़े-बड़े संत महात्माओं ने राम कथा , भागवत कथा के माध्यम से भक्तों को सत्संग का अमृत पान कराया है।
संस्कारवान परिवार में करें बिटिया की शादी
श्री राम कथा के पहले दिन व्यास पीठ से पीठ आदिश्वर श्रीमद् जगतगुरु श्री रामस्वरूपाचार्य ने कहा भक्तों को सांसारिक जीवन के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि राम कथा ही गृहस्थ जीवन में पति-पत्नी और परिवार का मार्गदर्शन करने में सक्षम है। उन्होंने कहा शादी में दहेज भले ही कम या ज्यादा दें लेकिन श्री रामचरितमानस की पुस्तक दामाद को जरूर भेंट करें और उससे प्रार्थना करें कि हर रोज रामचरितमानस का पाठ जरूर करें। श्री रामचरितमानस के पढ़ने मात्र से बुद्धि विवेक और ज्ञान के चक्षुओं के पट खुल जाते हैं।
संतुलन बनाने हेतु प्रतिकूलता में अनुलता जरूरी
पति पत्नि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों को एक दूसरे का सम्मान सुरक्षित रखना चाहिए। तभी जीवन में संतुलन बना रहेगा। आज विडम्बना है कि पति पत्नी में बन ही नहीं रही, इतनी दिक्कतें हैं कि आमने सामने होकर भी बात नहीं करते। पति को चाहिए कि ससुराल में व्यवहार भगवान शंकर जैसा। शिवजी ने पार्वती जी के घर पहुंचकर प्रतिकूलता में अनूलता बनाई और पार्वती जी ने शिवजी के घर पहुंचकर अनुकूलता बनाई। परन्तु आज खाने में एक दिन का बिगड़ा हुआ नमक का संतुलन अदालत तक पहुंच रहा है। नाते रिश्ते चौपट कर रहा। जबकि पति पत्नी और घर की बातें अदालत क्या नाते रिश्तोदारों तक नहीं जाना चाहिए। प्रतिकूलता में अनुकूलता से ही आएगा जीवन संतुलन। अपनी बात को कहने का तरीका बदलो। वाणी ही हृदय परिवर्तन कर सकती है।
इस अवसर पर मुख्य रूप से मुख्य यजमान डॉ. जयप्रकाश त्यागी, मुरारीलाल त्यागी, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. राजेन्द्र नाथ त्रिपाठी, यज्ञ यजमान श्रीकांत त्यागी, हाकिम सिंह त्यागी, शैलेन्द्र उपाध्याय, वात्सल्य उपाध्याय, पिंकी त्यागी, श्री कामतानाथ सेवा समिति के अध्यक्ष रामसेवक शर्मा जय भोले, संगठन मंत्री अमित शर्मा, सौरभ शर्मा, महावीर प्रसाद त्यागी, सत्येंद्र पाराशर, लवकेश चौधरी ने श्री राम कथा की व्यवस्थाओं में सहयोग किया। अमरकांत त्यागी, अर्जुन त्यागी, विनोद त्यागी, विमल सोलंकी, डॉ. जितेन्द्र चौधरी आदि उपस्थित रहे।
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