Home » फ़िरोज़ाबाद के पॉस्को कोर्ट में दी गयी पहली फांसी, 8 वर्षीय मासूम से दुराचार के बाद की थी हत्या

फ़िरोज़ाबाद के पॉस्को कोर्ट में दी गयी पहली फांसी, 8 वर्षीय मासूम से दुराचार के बाद की थी हत्या

by admin
The first hanging given to the accused in Posco Court, Firozabad, was committed after the mistreatment of an 8-year-old innocent

Firozabad. थाना सिरसागंज (Sirsaganj) क्षेत्र के ग्राम चंदपुरा में आठ साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और फिर गला दबाकर हत्या करने के मामले में जनपद न्यायालय प्रांगण के पास्को कोर्ट (POCSO Court) में आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई। आरोपी बंटू को फांसी की सजा न्यायाधीश पास्को कोर्ट मृदुल दुबे द्वारा दी गयी। आरोपी को फांसी की सजा सुनाए जाने पर मृतका के परिजनों के चेहरों पर खुशी दिखी तो सरकारी वकील (Government Advocate) अजमोद सिंह चौहान ने फैसले पर संतोष जताया। उनका कहना था कि फिरोजाबाद जिले में यह पहली फांसी (Hanging)की सजा पास्को कोर्ट में सुनाई गई है।

सरकारी वकील अजमोद सिंह चौहान ने मीडिया (Media) से रूबरू होते हुए बताया कि 18 मार्च 2019 को आठ वर्षीय मासूम का शव गेंहू के खेत में खून से लथपथ पड़ा हुआ मिला था। मासूम बच्ची की माँ की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया था और पुलिस ने जांच पड़ताल में चचेरे भाई बंटू को गिरफ्तार किया था।

सरकारी वकील अजमोद सिंह चौहान ने बताया कि 17 मार्च 2019 को थाना सिरसागंज क्षेत्र में रात्रि आठ बजे एक अबोध बालिका जिसकी उम्र करीब आठ वर्ष बंटू उर्फ शिवशंकर पुत्र अतर सिंह दस रूपये का नोट का लालच देकर उसे खेतों में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म (Misdeed) किया, दुष्कर्म करने के बाद उसकी गला दबाकर हत्या कर दी और साक्ष्य मिटाने के उद्देश्य से उसे गेहूं के खेत में फेंक दिया।

यह मुकदमा न्यायाघीश पास्को कोर्ट में चला जिसमें 11 गवाह अभियोजन पक्ष की तरफ से उनके द्वारा पेश किये गये। चार गवाह (Evidence) तथ्य के साबित हुये, अन्य गवाह औपचारिक रूप से साबित हुये, डा. प्रदीप कुमार ने यह साबित किया कि इसकी मृत्यु गला दबाकर हुई। डा. साधना राठौर ने यह साबित किया कि इसके साथ बलात्कार (Rape) की घटना से इनकार नहीं किया जा सकता, इसमें पत्रावली का पूर्ण संपूर्ण परिसीमन करने के बाद केस के सही तथ्यों की पत्रावली से सही अवगत होने के बाद न्यायाधीश (The Judge) पास्को कोर्ट मृदुल दुबे द्वारा निर्णय मृत्युदंड का सुनाया गया। इसके लिये शासन की तरफ से उनके द्वारा पैरवी की गई।

Related Articles