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डॉक्यूमेंट्री ‘Pinki’ का हुआ ऑनलाइन प्रीमियर, चाइल्ड लेबर और प्रौढ़ शिक्षा पर आधारित है यह फिल्म

by admin

आगरा। चाइल्ड लेबर और प्रौढ़ शिक्षा के ऊपर हनु फ़िल्म की ओर से बनाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘पिंकी’ का आनलाईन प्रिमीयर हुआ। इस फ़िल्म का निर्देशन मनोज कुमार बांदिल ने किया है। इस डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म को यू-ट्यूब के माध्यम से लांच किया गया। 35 मिनट की इस फ़िल्म में उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के संस्थापक की चाइल्ड लेबर को खत्म करने की लड़ाई और एक मजदूर बालिका को शिक्षित करने के साथ उसे आत्मनिर्भर बनाने की कहानी को दर्शाया गया है।

बताया जाता है कि कुछ वर्ष पहले धनौली स्थित श्रमिक विद्यालय में फ्रांस और यूक्रेन की टीम ने सर्वे किया था। संग़ठन के कार्यों को देख उसकी सराहना की थी। इस बीच टीम संग़ठन की सचिव पिंकी से मिली और उनके जीवन की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने संग़ठन के प्रयास और पिंकी की कहानी को सभी के सामने लाने का निर्णय लिया था और आज 35 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म तैयार हुई है जिसमे आगरा के कलाकार संजय शर्मा, प्रियंका तमोरी, राज चौधरी, नाहर सिंह आदि कालाकारों द्वारा अभिनय किया गया।

डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘पिंकी’ उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के संस्थापक तुलाराम शर्मा और एक 12 वर्षीय मजदूर बालिका की कहानी है। फ़िल्म में तुलाराम शर्मा द्वारा चाइल्ड लेबर को खत्म करने के लिए चार दशक पहले शुरू किए गए अभियान के कार्यो को दर्शाया गया है।

उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के संस्थापक तुलाराम शर्मा ने बताया कि मजदूरों की विभिन्न समस्याओं और पढ़ने व लिखने की उम्र में छोटे छोटे बच्चों को काम करता देख उनका मन खिन्न हुआ। 1984 में उन्होंने संग़ठन की नींव रखकर मजदूरों और चाइल्ड लेबर को खत्म करने की लड़ाई शुरू की। मजदूरो के हक के लिए उन्होंने कई आंदोलन किये और सफलता भी हाथ लगी लेकिन चाइल्ड लेबर कम नहीं हुआ। ऐसे बच्चों को पढ़ाने और उनके लिए कुछ करने की ललक दिल मे थी। चाइल्ड लेबर को खत्म करने के लिए बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की योहन बनाई और धनौली में श्रमिक स्कूल की शुरुआत की। मजदूरों को समझा कर उनके बच्चों को स्कूल लाने में कठिनाई हुई लेकिन कुछ बच्चों के साथ स्कूल की शुरुआत हुई। इस बीच उनकी मुलाकात मजदूर बालिका से हुई। उन्होंने उसे पढ़ने के लिए प्रेरित किया और उसे शिक्षित बनाये जाने की जिमेदारी उठाई जो आज एक सफल शिक्षिका है। पिंकी आज श्रमिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के साथ संगठन की सचिव के रूप में कार्य संभाल रही है।

डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म को लेकर संगठन की सचिव पिंकी का कहना था कि फ़िल्म में जो भी दर्शाया गया है वो उनकी असल जिंदगी है। 12 वर्ष की उम्र में पिता की मृत्यु के बाद पढ़ाई छूट गई। उस समय वह आगरा के नामनेर क्षेत्र में किराये पर रहती थी। पढ़ने की ललक व परिवार की जिम्मेदारी ने उनका हौसला टूटने नहीं दिया और एक कारखाने में काम करने जाने लगी। उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन का आफिस घर के बगल में था। एक दिन तुलाराम शर्मा ने देखा और पढ़ने लिए प्रेरित किया। उन्होंने ही मेरा हाई स्कूल का फॉर्म भरवाया। 1995 में मैने तुलाराम शर्मा की मदद से हाई स्कूल किया, तभी उन्होंने मुझे धनोली में बाल श्रमिक स्कूल में बच्चो को पढ़ाने का मौका दिया और मेरी पढ़ाई भी आगे जारी रही। 1999 में धनौली स्कूल की प्रधानाध्यापक बनी। मजदूरों के बच्चों में उन्हें खुद का जीवन दिखाई देता और उनके शिक्षित होना कितना जरूरी है वो जानती थी इसलिए मेहनत व लगन के साथ श्रमिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का सिलसिला जारी रहा। इस बीच शादी हुई लेकिन कुछ वर्षों बाद पति की एक बीमारी के चलते उनकी मृत्यु हो गयी और साथ छूट गया। वर्तमान में स्कूल के साथ ही संगठन में भी सचिव की भूमिका संभाल रही हूँ। आज उन्हीं के पदचिन्हों पर चलकर श्रमिक महिलाओं को सशक्त बनाने का प्रयास कर रही हूं।

उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के संस्थापक तुलाराम शर्मा का कहना है कि आज तक श्रमिक स्कूल से हजारों बच्चों ने शिक्षा पाकर अपने जीवन को संवारा है। कोई सरकारी नौकरी कर रहा है तो किसी ने अपना व्यवसाय शुरू किया है लेकिन कोई मजदूरी नही कर रहा है केवल अपने हुनर के साथ काम करने में लगा हुआ है। तुलाराम शर्मा का कहना है कि जो मजदूर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए नही भेजते थे वो ही मजदूर आज अन्य मजदूरो को अपने बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए प्रेरित कर रहे है। चाइल्ड लेबर को लेकर बनाई गई इस फ़िल्म के लिए तुलाराम शर्मा सभी को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे है।

फिल्म के निर्देंशक मनोज कुमार बांदिल ने बताया कि उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के संस्थापक और उनके कार्यो के बारे में जानकारी हुई तो उनके जीवन व संगठन के कार्यो को समाज के सामने लाने का फैसला लिया। जिसके बाद एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘पिंकी’ बनाई गयी। इसमे एक चाइल्ड लेबर की जिंदगी और संगठन अध्यक्ष के कार्यों को दर्शाया गया है।

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