- दस दिनों तक चलेगा वरद वल्लभा महागणपति मंदिर में महोत्सव, स्वर्ण मुकुट और दंत धारण किये हैं गजानन
- मंजिल आरती देखने को भक्तों में लगी होड़, दूध दही से हुआ उत्सव प्रतिमा का विशेष अभिषेक
आगरा। शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को…मराठी भाषा की इस आरती की गूंज थी और आगरा सहित अन्य जिलों से पहुंचे सैंकड़ों भक्त भक्ति के आनंद में अपने आराध्य को निहारे जा रहे थे। गणपति बप्पा के जयकारे लगाए जा रहे थे।
आगरा− फिरोजाबाद रोड स्थित श्रीवरद वल्लभा महागणपति मंदिर में चल रहे तृतीय गणेश चतुर्थी महोत्सव के द्वितीय दिवस पर महाआरती के दर्शन करने के लिए भक्तों में आस्था का ज्वार दिख रहा था। नीले बॉर्डर की श्वेत धाेती में स्वर्ण श्रंगार धारण किये श्रीवरद वल्लभा महागणपति भक्तों को दर्शन दे रहे थे। सुबह कुम्भाभिषेक और हवन के साथ द्वितीय दिवस का पूजन आरंभ हुआ। द्वितीय दिवस की वस्त्र सेवा धर्मेंद्र अग्रवाल, श्रंगार एवं हवन सेवा मयंक सिंह, नित्य अभिषेक सेवा सचिन शर्मा एवं भाेग प्रसादी सेवा नूतन बजाज की ओर से की गयी थी।
मंदिर संस्थापक हरिमोहन गर्ग ने बताया कि प्रतिदिन होने वालीं पांच आरती में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। 27 दीपों की नक्षत्र आरती एवं मंजिल आरती के दर्शन के लिए भक्त दूर− दूर से आ रहे हैं।
सूर्य तिलक से अलौकिक हुआ श्रंगार
वरद वल्लभा महागणपति का श्रंगार यूं तो दिव्य होता ही है किंतु इस श्रंगार में और अधिकता गजानन के मस्तक पर शाेभित तिलक से भी आती है। गणेश चतुर्थी उत्सव के लिए विभिन्न आकार के रत्न जड़ित चांदी के तिलक जयपुर से मंगवाए गए हैं। द्वितीय दिवस श्रंगार में स्वर्णिम आभा पर सूर्य तिलक सुशाेभित था।
गुरु रूप में विराजित हैं महादेव
मंदिर प्रबंधक नितिन शर्मा ने बताया कि वरद वल्लभा महागणपति की दाहिनी ओर अष्टधातु के पारमेश्वर महादेव विराजित हैं। यहां मां पार्वती का भाव उपस्थित है किंतु महादेव वरद वल्लभा महागणपति के गुरु के रूप में हैं। प्रतिदिन पारमेश्वर महादेव का भी अभिषेक किया जाता है।