Agra. विद्युत शवदाह गृह की चारों भट्टियां बंद हो जाने से ताजगंज स्थित मोक्षधाम पर अंतिम संस्कार की करने वालों की लाइन टूट नहीं रही है। आलम यह है कि ताजगंज मोक्षधाम में भी अंतिम संस्कार के लिए लोगों को जगह नहीं मिल रही है। लोग चिताओं के ठंडे होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि उनके परिजनों का भी अंतिम संस्कार हो सके जो इस संसार को छोड़कर चले गए हैं। विद्युत शवदाह गृह बंद होने से अंतिम संस्कार के लिए जो समस्याएं सामने आ रही हैं वह ताजगंज मोक्षधाम में साफ देखने को मिल रही है। बुधवार को भी आलम यह रहा कि लोगों को जहां जगह मिली वहीँ अंतिम संस्कार कर दिया।
ताजगंज स्थित मोक्षधाम में लोग अपने परिजनों के शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं लेकिन इसके साथ-साथ उनका दिल भी जल रहा है। क्योंकि ताजगंज मोक्षधाम में अंतिम संस्कार के दौरान जो समस्याएं उन्हें आ रही है और प्रशासन की जो अव्यवस्था देखने को मिल रही है उसका दर्द असहनीय है। ताजगंज स्थित मोक्षधाम में 24 घंटे के भीतर सौ से अधिक चिताएं जल चुकी हैं और यह क्रम अभी टूटा नही है। अब तक सबसे अधिक शव जलाए गए हैं। हाल यह है कि एक चिता ठंडी नहीं हो पाती है कि उसके कुछ दूरी पर दूसरी जलना शुरू हो जाती है।
विद्युत शवदाह गृह की भट्टियां खराब होने से शहर के सभी श्मशान घाटों पर लकड़ियों की मांग बढ़ गई है। सामान्य तौर पर एक शव के अंतिम संस्कार में तीन से चार कुंतल लकड़ी की जरूरत होती है। पूर्व में अंतिम संस्कार की संख्या कम थी। इसके चलते इसकी खपत भी कम थी लेकिन अब यह संख्या सौ के पार हो गई है। हाल यह है कि श्मशान घाटों पर लकड़ियां खत्म हो जाती हैं।