आगरा। सुप्रीम कोर्ट और बाल आयोग के आदेश के बाद भी आगरा के बाल संरक्षण गृह किशोर न्याय अधिनियम (जेजे एक्ट) में पंजीकृत नहीं हो सके। सुप्रीम कोर्ट की आखिरी तारीख 31 दिसंबर भी निकल चुकी है। दर्जनों अवैध बाल गृह संचालित हैं। इनमें बच्चे कहां से आ रहे हैं तथा कहां जा रहे हैं इसका प्रशासन के पास कोई रिकार्ड नहीं है। यह आश्रय गृह प्रशासन और बाल कल्याण समिति को कोई रिकार्ड नहीं भेज रहे हैं। इनकी क्रियाविधि संदेह के घेरे में है। चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट व महफूज संस्था के वेस्टर्न यूपी के को-ऑर्डिनेटर नरेश पारस ने इस संबंध में बाल गृहों की सूची के साथ बाल आयोग को पत्र भेजा है।
5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट फैसला दे चुका है कि देश में संचालित कोई भी आश्रय गृह यदि बच्चों (18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति) को रखता है तो उसका किशोर न्याय अधिनियम के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य है। देश के सभी बाल गृहों को किशोर न्याय अधिनियम में पंजीकृत कराने के लिए 31 दिसंबर 2017 तक का समय दिया गया था, जो अब बीत चुका है। अभी भी कई आश्रय गृह ऐसे चल रहे हैं जो किशोर न्याय अधिनियम में पंजीकृत नहीं है, जो बच्चों का रख रहे हैं। गृहों के पंजीकरण न होने के कारण बच्चों की स्थिति शासन प्रशासन के संज्ञान में नहीं आ पाती है। उक्त बाल गृह बच्चों को दाखिल करते समय अथवा गोद देते समय बाल कल्याण समिति को भी शामिल नहीं करते हैं जिसके चलते बाल तस्करी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
बच्चे कहां से आ रहे है और कहां जा रहे हैं इसका कोई रिकार्ड शासन प्रशासन के पास नहीं हैं। आगरा में भी करीब एक दर्जन बाल संरक्षण गृह ऐसे है, जो किशोर न्याय अधिनियम में पंजीकृत नहीं हैं। इनमें निरूद्ध बच्चों का विवरण प्रशासन के पास नहीं हैं। इस संबंध में महफूज सुरक्षित बचपन द्वारा उ0प्र0 राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग से शिकायत की गई थी। वर्ष 2015 में आयोग के आदेश पर इन आश्रय गृहों की जांच को जिला प्रोबशन अधिकारी द्वारा एक कमेटी गठित की जिसने अपनी रिपोर्ट जिला प्रोबेशन अधिकारी को सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया था कि 11 आश्रय गृह बिना किशोर न्याय अधिनियम के पंजीकरण के संचालित हैं। इन सभी में बच्चे रह रहे हैं। अभी तक इन आश्रय गृहों का पंजीकरण नहीं हो पाया है।
इनके अलावा भी आगरा में बाल संरक्षण गृह हो सकते हैं। यह रिपोर्ट जिला प्रोबेशन अधिकारी के माध्यम से आयोग को भी भेजी गई थी। 06 जून 2017 को महफूज द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी शिकायत की गई थी, जिस पर आयोग ने 06 जून 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को गृहों के पंजीकरण कराने के लिए पत्र जारी किया था लेकिन अभी तक उक्त गृहों का जेजे एक्ट में पंजीकरण नहीं हो पाया है। आगरा ही नहीं अपितु देश भर में तमाम ऐसे बाल संरक्षण गृह होंगे जो जेजे एक्ट में पंजीकृत नहीं हैं लेकिन बच्चों को रख रहे हैं। उन सभी की जांच कराना अनिवार्य है। उनको जेजे एक्ट में पंजीकृत कराया जाए तथा सभी बाल संरक्षण गृहों में रहने वाले बालक/बालिकाओं का मेडिकल भी कराया जाए।
ये आगरा के गैर पंजीकृत बाल संरक्षण गृह :-
1. करिश्मा चैरीटेबिल (ट्रस्ट) बालिका आश्रय गृह, शास्त्रीपुरम आगरा।
2. मातृछाया न्यास, गांधीनगर आगरा।
3. जीसस मिशन अनाथालय, टेढ़ी बगिया, आगरा।
4. रामलाल आश्रम, कैलाश, सिकंदरा, आगरा।
5. मदर टैरेसा बाल गृह, प्रतापपुरा आगरा।
6. श्री मद्यानंद अनाथालय, यमुना ब्रिज आगरा।
7. सेंट वीसेंट बालिका गृह, घटिया, आगरा।
8. शरण स्थान बाल गृह, कहरई मोड, आगरा।
9. अंर्तदेशीय संस्कृत सेवा आश्रम, निकट धनौली, आगरा।
10. प्रेमदान मिशनी ऑफ चैरिटी चिल्ड्रन होम, आगरा।
11. खुला आश्रय गृह, सेक्टर 14 आवास विकास कॉलोनी, आगरा।