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कभी दीदार को तरसते थे लोग, आज इंसानों के दीदार को मोहताज है ये संगमरमरी हुस्न

by admin

आगरा। देश में कोरोना का संकट क्या आया, शायद ही इससे कोई अछूता रहा हो इंसान से लेकर पशु पक्षी सब कोई हैरान है, परेशान है। सफेद संगमरमरी हुस्न, मोहब्बत की निशानी, शाहजहां और मुमताज द्वारा बनाई गई दुनिया की खूबसूरत इमारत, ताजमहल भी आज अपना रोना रो रहा है। दुनिया के सातवें अजूबे और बेपनाह मोहब्बत की निशानी ताजमहल के दीदार को एक दिन में जहां हजारों सैलानी, देशी-विदेशी पर्यटक उमड़ते थे आज वही मोहब्बत की निशानी ताज अपने प्यार के दीवानों के लिए दीदार को मोहताज हो चुकी है।

आस-पास के लोग बताते हैं कि ताज की हालत ऐसे पहले कभी नहीं देखी गई। हालांकि इससे पहले ताजमहल 14 दिन और 15 दिन के लिए बंद हुआ था। यह वह मौका था जब भारत और पाक में युद्ध हुआ, उस दिन ताजमहल 14 दिन के लिए बंद किया गया था और दूसरा मौका जब आगरा में बाढ़ की स्थिति बनी थी। तब भी ताजमहल को बंद किया गया। मगर देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते बेपनाह मोहब्बत की निशानी ताजमहल सबसे लंबे समय के लिए ताले में कैद हो गया है। ताजमहल के कुछ वीडियो हम आपको दिखाने जा रहे हैं।

यहां आने वाले देशी-विदेशी सैलानी इस खूबसूरत इमारत को देखकर वाह ताज कह उठता है। मगर इस बार ताज पर मानो ग्रहण लग गया है। जहां कोरोना वायरस के संक्रमण ने पूरे देश को जकड़ लिया है तो वहीं शाहजहां और मुमताज की निशानी सफेद संगमरमर हुस्न ताले में कैद है। फुव्वारे बंद पड़े हैं। चारों ओर सुनसान हवाएं चल रही हैं।

ताज के दीवाने बताते हैं कि उन्होंने अपनी उम्र में ताजमहल को ऐसा कभी नहीं देखा। कोरोना के खौफ और लॉक डाउन की बंदिशों ने हिंदुस्तान की बेशकीमती धरोहर और दुनिया के इस नायाब अजूबे को तनहा कर दिया। खूबसूरत संगमरमरी यह इमारत महज दो महीने पहले तक अपने दीवानों के बीच इतराती मुस्कुराती नजर आती थी तो आज उसके जर्रे जर्रे से उदासी और दर्द छलक रहा है। मुगलिया स्थापत्य कला के इस नायाब हीरे के दीदार के लिए लोग सात समंदर पार से भी ताज के आकर्षण में खिंचे चले आते रहे हैं। लेकिन आज मानो अपने चाहने वालों से वियोग का यह दौर ताज की रूह को बेचैन कर रहा है। तकरीबन पौने 400 सालों से ताजमहल इतना तन्हा कभी ना रहा। ऐसा लगता है ताजमहल का हर जर्रा जर्रा ताजमहल के तीनों द्वारों पर अपने कद्रदानों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

जहां देखो मानो हर चीज़ कोई पुकार कर रही हो। ताज की जामा मस्जिद अपने अकीदत मंदो को पुकार रही है। सेंट्रल टैंक पर स्थापित अब इस डायना बेंच को देखो। जब तक इस बेंच पर लाखों लोग बैठकर अपनी यादों को संजो चुके हैं। किसी भी मुल्क की कोई भी शख्सियत हो। सभी ने इस बेंच पर बैठकर ताज की रूहानियत का इत्मीनान से एहसास किया है। लेकिन आज यह डायना बेंच खामोश और उदास है। ताजमहल के ही परिसर में बना यह संग्रहालय है, जहां मुगलिया सल्तनत से जुड़ी हुई तमाम यादें संग्रहित है। आज 72 -72 मीटर ऊंची इन ताज की मीनारों को जब चारों दिशाओं से दूर-दूर तक कोई भी नहीं दिखता तो ऐसा लगता है मानो बंदिशों में जकड़ी मोहब्बत की यह रूह कह रही हो कि
‘सच में मेरे दर्द की अब इंतहा है
क्यों नहीं दिखता कोई मेरे कद्र मंद कहां है,
ढूंढती हैं थकी बोझिल नजरें मेरी
वो मेरे चाहने वाले आज कहां हैं,
मैंने तो बिखेरी हर जहां में मोहब्बत की खुशबू
इश्क की उस खुशबू को आज महकाने वाले कहां है…

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