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बढ़ते तापमान में परेशान सांप घरों में ले रहे शरण, वाइल्डलाइफ एसओएस टीम अलर्ट पर

by admin
Snakes troubled by rising temperatures are taking refuge in homes, Wildlife SOS team on alert

आगरा। शहर में साँपों से संबंधित कॉल्स में आई बढ़ोतरी के बाद, वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम अलर्ट पर है। मई की शुरुआत से अब तक, टीम को 30 से अधिक साँपों से जुड़ी कॉल्स आ चुकी हैं, जिसमें घर के शौचालय के अंदर 4 फुट लंबे जहरीले कोबरा सांप की कॉल भी शामिल है।

बढ़ते तापमान ने सांप एवं अन्य जंगली जानवरों को अत्यधिक गर्मी से राहत पाने के लिए ठंडे स्थानों की तलाश में बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया है। इस कारण सांप से जुड़ी कॉल्स में वृद्धि देख आगरा में वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट काफी व्यस्त है।

वाइल्डलाइफ एसओएस हेल्पलाइन पर एक कोबरा सांप की सूचना प्राप्त हुई, जिसे किरावली, फतेहपुर सीकरी रोड में एक घर के शौचालय में देखा गया था। चार फुट लंबा जहरीला सांप पाईप पर बैठा हुआ था। रैपिड रिस्पांस यूनिट आवश्यक बचाव उपकरणों के साथ तुरंत स्थान पर पहुची और सांप को सावधानी से रेस्क्यू कर ट्रांसपोर्ट कंटेनर में स्थानांतरित कर दिया।

इसके बाद तीन इंडियन रैट स्नेक, एक कोबरा और एक मॉनिटर लिज़र्ड (गोह) को भी बचाया। रैट स्नेक रुनकता में बालाजी मोटर्स के शोरूम के अंदर और एक अन्य रैट स्नेक नगला मुरली में बिस्तर के नीचे देखा गया। आगरा के शाहगंज में एक घर की बालकनी में चार फुट लंबी गोह को भी वाइल्डलाइफ एसओएस ने रेस्क्यू किया।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “सांप अपने शरीर के तापमान को बाहरी तापमान के अनुसार स्व-विनियमित करने में असमर्थ होते हैं। गर्मियों के मौसम में जब वह दिन में बहुत अधिक गर्म हो जाते है तो ठंडे स्थानों की तलाश में बाहर निकलते हैं। हमें खुशी है कि लोगों में जागरूकता बढ़ रही है और वह हमारी हेल्पलाइन पर कॉल करके सूचना दे रहे हैं। ”

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा, ” पिछले दस दिनों में, हमारी रेस्क्यू टीम ने 30 से अधिक सरीसृपों से जुड़ी कॉल्स का जवाब दिया है और यह संख्या अभी भी बढ़ रही है। जैसे-जैसे गर्मी का कहर जारी रहेगी, शहर और उसके आस-पास सांप देखने को मिलेंगे। हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे वन्यजीव संरक्षण के प्रयास का समर्थन करते रहें और ऐसी किसी भी घटना की सूचना हमें या वन विभाग को दें। हमारी रेस्क्यू टीम यह सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम करती है कि सहायता के लिए आई कोई भी कॉल खाली न रह जाए।”

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