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भक्ति ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी है श्रीमद्भागवत महापुराण – आचार्य हरिओम

by pawan sharma

आगरा। शिव बाटिका, शमसाबाद रोड, आगरा में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में सरस कथा व्यास आचार्य हरिओमजी महाराज व्याकरणाचार्य जी ने बताया श्रीमद् भागवत महापुराण की पवित्र कथा भक्ति ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी है।

आज दूसरे दिन श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा का वर्णन करते हुए आचार्यजी ने भगवत शब्द की व्याख्या करते हुए बताया कि भा माने भक्ति माने ज्ञान व माने वैराग्य और तो माने बिस्तार। आचार्यजी ने बताया व्याकरण में तो विस्तारे धातु है अतः जिस ग्रंथ में भक्ति ज्ञान और वैराग्य का विस्तार से वर्णन किया जाए उसी को श्रीमद् भागवत कहते हैं।

प्रख्यात कथा व्यास आचार्य श्री रामनजर जी महाराज (पूज्य श्रीहरि जी महाराज) के सानिध्य में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में सरस कथा व्यास आचार्य श्री हरिओम जी महाराज जी ने आगे भागवत की उत्पत्ति की कथा का वर्णन किया उन्होंने बताया की श्रीमद्भागवत कथा नारायण से ब्रह्मा को प्राप्त हुई ब्रह्मा जी से नारद जी को प्राप्त हुई नारद जी से व्यास जी को प्राप्त हुई और व्यास जी से सुकदेव जी महाराज को प्राप्त हुई सुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सुने इस प्रकार क्रम पूर्वक श्रीमद् भागवत महापुराण हम लोगों को धरती पर सुनने को प्राप्त हुई और श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से भारतवर्ष अपने देश के साथ-साथ विदेशों में भी श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार हो रहा है।

श्री वृंदावन धाम से पधारे महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री हरि शरण दास जी महाराज रामू बाबा ने आज कथा का श्रवण किया और कथा में आए हुए श्रोताओं को आशीर्वचन दिया। समाजसेवी श्याम भोजवानी ने बताया श्रीमद् भागवत कथा में प्रतिदिन दोपहर 2 से 6 तक आप अपने परिवार साथ आकर पुण्य कमाए।

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