आगरा। आईएसबीटी बस स्टैंड पर प्रवासी मजदूरों की अच्छी खासी भीड़ के बीच झकझोर देने वाली कुछ तस्वीरे सामने आई है। इन तस्वीरों ने एक पीड़ित पिता की कहानी और बेबसी को सामने ला दिया। घर जाने के लिए एक पिता अपने मासूम के साथ पैदल ही सफर पर निकला। सफर के दौरान मथुरा के पास मासूम की चप्पल टूट गयी और यह मासूम अपने पिता के साथ मथुरा से नंगे पांव पैदल लेकर चला। तपती सड़क पर बच्चे ने नंगे पांव पैदल ही सफर तय करना शुरू कर दिया।
नंगे पांव बच्चा जैसे-तैसे आईएसबीटी बस अड्डे तक पहुँचा। धूप में उबल रही सड़क पर बच्चे के पैर जल रहे थे लेकिन इस सफर में पिता कितना मजबूर था कि सामान के कारण बच्चे को गोद में भी नही उठा सका। नंगे पाँव चल रहे पुत्र को लेकर यह बेबस पिता जैसे ही बस स्टैंड पर पहुँचा, वहाँ कई जोड़ी जूते रखे देख इस बेबस पिता ने तुरंत जूतों की ओर दौड़ लगाई और सामान नीचे रखकर बच्चे के नाप का जूता छांटना ने शुरू कर दिया। एक जूता बच्चे को अच्छा लगा। उसने पिता से वही जूता पहनाने की जिद की। बेबस पिता बच्चे को जूता पहनाने लगा। तेज धूप में पसीना पसीना हो रहे पिता ने काफी देर तपती धूप में पैदल चल कर आये बेटे को जूता पहनाने की भरपूर कोशिश की लेकिन जूता फिट न होने के कारण बच्चे के पैर में नही आया। इसी दौरान बस के जाने की अनाउंसमेंट हुई। बस में चढ़ने की जल्दी में पिता ने सामान उठाया। जूता हाथ में लिया और बस की तरफ दौड़ लिया। पिता के पीछे-पीछे नंगे पांव बेटा भी बस की तरफ भागा। उबलती ज़मीन पर चलना नन्हे कदमो के लिए अंगार पर चलने जैसा था लेकिन मंजिल पर पहुचने की जल्दबाजी में बच्चे कभी दौड़ता, कभी एड़ी के बल चलता तो कभी पंजो पर खड़ा हो जाता। हालांकि जूता मिलने के बाद वह बच्चा मस्ती से उछलता-कूदता नंगे पांव ही अपने परिवार के साथ बस की ओर आगे बढ़ रहा था और बार-बार अपने पिता के हाथों में जूतों को निहार रहा था।
पिता ने बातचीत में बताया कि उसका बेटा नंगे पाव सफर तय कर रहा था। उसके पास कोई इंतजाम नहीं था कि वह अपने बच्चे को चप्पल दिलवा पाए या जूते पहना पाए। बस अड्डे पर रखा मिला ये जूता उनके बेटे के लिए बहुत कुछ है।
कहने को तो ये घटना सिर्फ एकबानगी है लेकिन लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए ऐसी बहुत से चीज़े हैं जिनकी कीमत आपकी-हमारी नज़रों में शायद कुछ न हो लेकिन उन मजदूरों, महिलाओं और मासूम बच्चों के लिए बहुत कुछ हैं। हमारी अपील है कि अगर आप ऐसे लोगों की सहायता करने में सक्षम हैं तो यह समय बहुत महत्वपूर्ण है। एक बार किसी मासूम के पैरों में चप्पल या जूता पहनाकर तो देखिए, उसके चेहरे की एक मुस्कान आपके हज़ारों गमों को भुला देगी।