आगरा। कोरोना वॉयरस के चलते किशोर-किशोरियां अपने घरों में कैद हैं। चाहे अनचाहे उनकी स्वतंत्रता छिन गई है। मोबाइल, टेलीविजन और कुछ गज का कमरा ही उनका सहारा है। कितना टीवी देखें और कितना मोबाइल पर समय व्यतीत करें। आजादी से घूमना-फिरना, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती गायब होने से उनकी दिनचर्या गड़बड़ा गई। मानसिक रूप से परेशान रहने लगे हैं। ऐसे किशोर-किशोरियों का सहारा बना है साथिया क्लब। लॉकडाउन पीरियड में जहां क्लब के सदस्य फोन से उन्हें विभिन्न समस्याओं का समाधान बता रहे थे तो वहीं अनलॉक होने पर फेस-टू-फेस जानकारी दी जा रही है।
22 मार्च से जनता कर्फ्यू लगने के बाद से सभी अपने घरों में कैद होकर रह गए। दो महीने से भी ज्यादा दिनों तक घरों में कैद रहे। अनलॉक होने पर थोड़ी आजादी जरूर मिली। परन्तु, स्कूल-कालेज न खुलने से किशोर-किशोरियां अभी भी घरों से बाहर निकलने को तरस रहे हैं। कोरोना वॉयरस की वजह से उनकी टेंशन बढ़ गई है।
अनलॉक होने के बाद साथिया क्लब में 10 से 19 साल के किशोर-किशोरियों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में काउंसलिंग की जा रही है। सोशल डिस्टेसिंग बनी रहे उसके लिए गोले बनाकर तैयार कर दिए। तीन फीट की दूरी पर सामाजिक दूरी के साथ कॉउंसलिंग की जा रही है। जिसमें अभी तक एक जून से 88 लड़किया और लड़के 69 किशोर काउंसलिंग में आ चुके हैं।
किशोरों की काउंसलिंग करने वाले अरविंद कुमार की मानें तो हाईजीन, महावारी की समस्या, मानसिक तनाव से जूझ रहे किशोर-किशोरियां केंद्र पर हर रोज पहुंचते हैं। उनकी कॉउंसलिंग कर जानकारी दी जा रही है।
साथिया में काफी महत्वपूर्ण काम होता है। उन्हें शारीरिक बदलाव के बारे में जानकारी देने के साथ कम उम्र में शादी होने पर फैमिली प्लानिंग के बारे में भी बताते हैं। व्यक्तिगत सफाई, हाईजीन, महावारी की समस्या, डिप्रेशन से छुटकारे की जानकारी भी दी जा रही है। सेंटर पर एनीमिया की जांच भी कराई जाती है।