− अक्षरा साहित्य अकादमी द्वारा लगाया था नौ दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेला एवं साहित्य उत्सव
− जीआईसी मैदान में साहित्य के महाकुंभ में उमड़ा पुस्तक प्रेमियों का सैलाब, सवा लाख से अधिक पुस्तकों की बिक्री
− तीन इंच की गीता की हुई सर्वाधिक बिक्री, छुआ 2500 का आंकड़ा, उर्दू अदब शायरियां भी बिकीं, अंग्रेजी साहित्य का भी रहा जोर
आगरा। एक ओर बारिश की बौछारें सर्दी की सुगबुगाहट को बढ़ा रही थीं तो दूसरी ओर साहित्य के महाकुंभ में काव्य रसधारा बह रही थी। चाय और कॉफी की गर्म चुस्कियां, पुस्तकों का आनंद और कविता पाठ की स्वर लहरियां।
राष्ट्रीय पुस्तक मेले का अंतिम दिन इसी अंदाज काे बयां कर रहा था। जीआइसी मैदान में अक्षरा साहित्य अकादमी द्वारा लगाए गए राष्ट्रीय पुस्तक मेला एवं साहित्य उत्सव का समापन कवि सम्मेलन से सजी संध्या से हुआ।
अध्यक्षता करते हुए डॉ अरुण उपाध्याय ने शब्दों का बाजार सजा है भाव कहां से आयेंगे। हर रोज बिकेगी ग़ज़ल यहां और गीत खरीदे जायेंगे। रचना का पाठ कियाा। संचालन के साथ सत्र एलेश अवस्थी ने महलों पे राज करना दिल्ली का शौक होगा। हस्ती को लुटा देना अंदाजे आगरा है…पंक्तियों से सभा की तालियां बटोरीं। भरत दीप माथुर ने कुछ ज़माने से सवालात करूं या न करूं, अपना इज़हार- ए- ख़यालात करूं या न करूं…रचना का पाठ किया। मोहित सक्सेना ने राम जानकी को शंकर का धनुष तोड़ कर लाये थे, पार्थ द्रौपदी को मछली की आंख फोड़ कर लाये थे…पंक्तियों से सभा में जय श्रीराम के जयघोष लगवा दिये। इसी कड़ी में तू तो दर्पण निहारे संवारे शकल, दाग दिल के छिपाने से क्या फायदा.. अमित कुमार “यश”, मेरी मंजिलों से पूछ कर मेरा पता लिखना मैं चला जाऊं तो मुझे सोच में जिंदा रखना.. राम परमार, ये ’पारस’ को समझ आया तुझे क्यूं दाद मिलती है। तेरे कुछ शेर ऐसे हैं जो महफिल लूट जाते हैं…ऋषभ पाराशर ‘पारस’, हमको कोई कायर ना समझे हम हर जवाब तन कर देंगे, यदि वतन मांगेगा कुर्बानी,तो भगत सिंह बनकर देंगे.. ईशान देव, कुछ तो आख़िरकार करेंगीं सर्द हवाएं, जीना अब दुश्वार करेंगीं सर्द हवाएं… मान सिंह ‘मनहर’ आदि ने अपनी रचनाएं सुनाईं। पुस्तक मेला का समापन आकर्षक आतिशबाजी के साथ किया गया।
अध्यक्ष डॉ विनोद माहेश्वरी ने सभी के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उपाध्यक्ष वत्सला प्रभाकर, सहसचिव शीला बहल, सचिव दीपक सिंह सरीन, डॉ माधवी कुलश्रेष्ठ, आरके कपूर, प्राप्ति सरीन आदि उपस्थित रहीं।
बाल सत्र में वितरण हुआ पुरस्कारों का
मेले में विगत दिनों स्वास्तिक वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा कराई गई हस्तलेखन और पोस्टर प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित किये गए। मुख्य अतिथि हेल्प आगरा संस्था के महामंत्री किशन अग्रवाल और विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नंदन गुप्त थे। किशन अग्रवाल ने हेल्प आगरा द्वारा सेवा प्रकल्पों की जानकारी दी। अतिथियों का स्वागत स्वास्तिक ट्रस्ट की अध्यक्ष विनीता मित्तल, प्रेरणा सिंह, श्रुति दास, शिखा गौतम, रुचि सिंघल, पर्ल लालवानी ने किया। नीरज कांत शर्मा के निर्देशन में महाबल योगा थैरेपी वेलनेस सेंटर के बच्चों ने योगा दीप नृत्य और योग नृत्य की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दी। प्रेम विद्यालय, दयालबाग की छात्राओं ने एकल, सामूहिक नृत्य, एकल, सामूहिक गान, काव्य पाठ, नुक्कड़ नाटक, संस्कृत श्लोक पाठ आदि की प्रस्तुतियां दीं। सत्र का संचालन प्राप्ति सरीन ने किया।
साहित्य और सिनेमा पर हुई चर्चा
राष्ट्रीय पुस्तक मेले का द्वितीय सत्र साहित्य और सिनेमा पर चर्चा के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता सूरज तिवारी ने की। मुंबई से आये लेखक सुरेंद्र साथी, निर्देशक रितु राज त्रिपाठ और क्रिएटिव डायरेक्टर अपराजिता सागर ने साहित्य और सिनेमा विषय पर विमर्श किया।
द पेजेज फ्रॉम द डायरी आफ ए जर्नलिस्ट का हुआ विमोचन
पुस्तक मेले में वरिष्ठ पत्रकार नेवल स्मिथ की पुस्तक द पेजेज फ्रॉम द डायरी आफ ए जर्नलिस्ट का विमोचन किया गया। पुस्तक में आजादी के बाद आगरा की पत्रकारिता का विश्लेषण है, घटनाओं, सेलिब्रिटीज, पत्रकारिता के बदलते मायने, नई चुनौतियां, आदि सारे विषयों का गंभीरता से अध्ययन प्रस्तुत किया है। नेवल स्मिथ वर्तमान में अस्वस्थ चल रहे हैं और अपनी बेटी के पास सहारनपुर में हैं। इस वजह से वरिष्ठ पत्रकार बृज खंडेलवाल और आदर्श नंदन गुप्त ने पुस्तक विमोचन किया। इसके साथ ही नवांकुर लेखक अक्षर मिश्रा की पुस्तक द वर्ल्ड आफ मैजिक पावर का विमोचन भी हुआ।
हजारों पुस्तकों की बिक्री ने बढ़ाया उत्साह
राष्ट्रीय पुस्तक मेले के अंतिम दिन सभी स्टॉल वालों के चेहरों पर प्रसन्नता छाई थी। विक्रेता मोहन मुरारी शर्मा ने बताया कि उनकी स्टॉल से करीब साढ़े दस हजार पुस्तकों की बिक्री मेले में हुई, जिसमें ढाई हजार पुस्तकें तो केवल तीन इंच की श्रीमद् भगवत गीता की रहीं। धार्मिक पुस्तकाें के प्रति लोगों का रुझान काफी रहा। हिंदी में अनुवादित कुरान की प्रतियां भी हाथाें हाथ बिक गयीं तो वहीं दलित साहित्य को भी लोगों ने खूब पसंद किया, जिसमें पेरियार ललई सिंह ग्रंथावली, सच्ची रामायण, गीतांजली श्री जबरदस्त विक्रय हुईं। स्टॉल संयोजक राजकुमार शुक्ला ने बताया कि नौ दिन के मेले में करीब सवा से डेढ़ लाख पुस्तकों की बिक्री हुयी।