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उत्तर प्रदेश में प्रॉपर्टी खरीदने के बदले नियम, कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव को मिली मंजूरी

by admin
Rules for buying property in Uttar Pradesh, approval of proposal in cabinet meeting

उत्तर प्रदेश में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में 8 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। सूबे की राजधानी लखनऊ स्थित लोकभवन में सोमवार को योगी सरकार द्वारा कैबिनेट बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें आठ प्रस्‍तावों को मंजूरी मिली है। इन प्रस्तावों में सबसे खास प्रस्ताव स्‍टाम्‍प और रजिस्‍ट्री विभाग द्वारा लाए गए नए प्रस्‍ताव को मंजूरी मिलना है। बता दें नए प्रस्ताव के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अब मकान, दुकान ,जमीन और फ्लैट आदि भू संपत्तियों की कीमत और ऐसी संपत्ति की खरीद-फरोख्त में रजिस्ट्री करवाने के लिए लगने वाले स्टांप शुल्क को जिलाधिकारी तय करवाएंगे। यह प्रस्ताव कैबिनेट में स्टांप व रजिस्ट्री विभाग लेकर आया , जिसे मंजूरी मिल चुकी है।

वहीं इस संबंध में उत्तरप्रदेश के स्‍टांप और रजिस्ट्री मंत्री रवींद्र जायसवाल ने जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि, कैबिनेट के इस अहम फैसले के बाद अब प्रदेशभर में भू-संपत्तियों की कीमत तय करने और रजिस्ट्री करवाते समय उस पर लगने वाले स्‍टांप शुल्क को तय करने में विवाद नहीं होंगे। साथ ही इससे दर्ज होने वाले मुकदमों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की जाएगी। अलावा इसके मंत्री जायसवाल ने बताया कि कोई भी व्यक्ति कहीं भी कोई दुकान ,मकान, जमीन, फ्लैट आदि खरीदना चाहेगा तो सबसे पहले उसे संबंधित जिले के डीएम को एक लेटर देना होगा। इसके साथ ही कोषागार में ट्रेजरी चालान के जरिए ₹100 का शुल्क भी जमा कराना होगा। आगे उन्होंने कहा डीएम लेखपाल से उस भू संपत्ति की सर्किल रेट के हिसाब से मौजूदा रेट का मूल्यांकन करवाएंगे। इस प्रक्रिया के बाद उस संपत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टांप शुल्क का भी लिखित रूप से लेखा-जोखा निर्धारित होगा।

जैसा कि आप जानते हैं कि अभी तक प्रदेश में जो व्यवस्था चल रही थी उसमें कोई व्यक्ति जमीन या मकान खरीदना चाहता था तो उस भू-संपत्ति का मूल्य कितना है, इस पर संशय बना रहता है।पहले खरीददार, प्रॉपर्टी डीलर, रजिस्ट्री करवाने वाले अधिवक्‍ता, रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी से संपर्क करते थे और उसमें मौखिक तौर पर उस जमीन या मकान की कीमत तय हो जाती थी, उसी आधार पर उसकी रजिस्ट्री पर स्‍टांप शुल्क लगता था। आगे मंत्री जयसवाल ने बताया कि, इसके बाद में विवाद की स्थिति उत्‍पन्‍न होती थी कि भू-संपत्ति के रेट इतने नहीं बल्कि इतने होनी चाहिए थे। इतना ही नहीं संपत्ति की रजिस्ट्री पर स्‍टांप शुल्क भी कम वसूला जा रहा था और प्रदेश के स्‍टांप व रजिस्ट्री विभाग में ऐसे मामला की संख्या भी बढ़ती जा रही थी, फिलहाल नए प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अब इन गड़बड़ियों पर अंकुश लग सकेगा।

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