प्रयागराज (Prayagraj) के श्रृंगवेरपुर घाट में गंगा किनारे रेत में दफनाए गए शवों से भगवा रंग की रामनामी चादर और लाल-पीले रंग के कपड़े हटाने का वीडियो वायरल होने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है। वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए इलाके के डीएम भानु चंद्र गोस्वामी ने पूरे मामले की जांच के आदेश जरी कर दिए हैं। यह आदेश 25 मई को तमाम टीवी चैनल्स पर मामला आने के बाद जारी किया गया। बता दें डीएम और एसएसपी ने इस मामले की जांच की कमान एडीएम सिटी और एसपी (गंगा पार) को दी है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि उनके आदेश पर कब्रों से कपड़ा या लकड़ी नहीं हटाई गई है।
दरअसल यह वीडियो सोमवार को सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आया था जिसमें कुछ लोग गंगा किनारे दफनाए गए शवों के ऊपर पड़ी रामनामी चादर और आसपास लगाई गई लकड़ियां हटाते हुए नजर आ रहे हैं। प्रशासन ने साफ तौर पर कहा है कि उनके द्वारा ऐसा कोई आदेश नहीं किया गया जिसमें कि लकड़ियां या कपड़ा हटाने का आदेश हो। साथ ही उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है आखिर वे कौन लोग थे जिन्होंने कपड़ा और लकड़ियां शवों के पास से हटाया। यह मामला अब तूल इसलिए पकड़ चुका है क्योंकि विपक्षी राजनीतिक दलों ने इस वीडियो को शेयर करते हुए सरकार के प्रति अपनी भड़ास जाहिर करना शुरू कर दिया है। इस वीडियो को लेकर तमाम सोशल मीडिया साइट्स पर लगातार पोस्ट किए जा रहे हैं और सरकार पर निशाना साधा जा रहा है।
अब उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के पास शव से रामनवमी चादर हटाने का वीडियो मिलने की बात को लेकर कोरोना काल में राजनीतिक रोटियां सेकना शुरू हो चुका है। कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने वीडियो साझा करते हुए लिखा, “जीते जी ढंग से इलाज नहीं मिला। कितनों को सम्मान से अंतिम संस्कार नहीं मिला। सरकारी आंकड़ों में जगह नहीं मिली। अब कब्रों से रामनामी भी छीनी जा रही है।छवि चमकाने की चिंता में दुबली होती सरकार पाप करने पर उतारू है। ये कौन सा सफाई अभियान है?ये अनादर है-मृतक का, धर्म का, मानवता का। ” बहरहाल इस मामले पर डीएम के आदेश अनुसार जांच शुरू हो चुकी है। जल्द ही यह मामला सामने आएगा कि आखिर वे कौन लोग थे जिन्होंने शवों के ऊपर से रामनामी चादर और लकड़ियां हटाईं।